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(४) मरणसमाधि ६३७. (५) उत्तराध्ययन वृत्ति - कमल संयम, पृ० २१६-७. (६) आचारांगचूर्णि, पृ० ५८.
(७) वही, वृत्ति - शीलांक, पृ० १११ १३४. (१) ज्ञाताधर्मकयांग ९३-५.
(२) भक्तपरिज्ञा ७५. १३५. (१) आवश्यकचूर्णि II, पृ० १६९-१७३.
(२) अन्तकृशांगसूत्र, ५.६.
(३) आवश्यकचूर्णि I, पृ० ३५७. १३६. सुदर्शना उसकी माँ थी और प्रियदर्शना उसकी पत्नी ।
(१) आवश्यकचूर्णि I, पृ० ४१६. (२) कल्पसूत्रवृत्ति - धर्मसागरसूरि, पृ० ९२.
(३) उत्तराध्ययनवृत्ति - शान्तिसूरि, पृ० १५४. १३७. (१) उत्तराध्ययनवृत्ति - कमल संयम, पृ० १०१.
(२) स्थानांग ५८७. (३) समवायांगवृत्ति - अभयदेव, पृ० १३२. (४) भगवतीसूत्रवृत्ति - अभयदेव, पृ० १९. (५) निशीथसूत्रभाष्य, ५५९७. (६) आवश्यकनियुक्ति ७८०. (७) वही, भाष्य १२६. (८) विशेषावश्यकभाष्य २८०२-७.
(९) सूत्रकृत्रांगचूर्णि, पृ. २७३. १३८. मरणोपरान्त वह लंतअकप्प में देव बना ।
- भगवतीसूत्र ३८७.
१३९. ज्ञाताधर्मकया अध्ययन ४.
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