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(२) वही, नियुक्ति ८६६, ८७०-७१.
(३) विशेषावश्यकभाष्य, ३३३२, ३३३८-९. ( ४ ) स्थानांग, १५७, २३६.
(५) वही, वृत्ति - अभयदेव, पृ० १८२, ४७४. (६) मरणसमाधि, ४२५-६.
८६. (१) निशीथसूत्रचूर्णि III, पृ० ४०८. (२) उत्तराध्ययनचूर्णि, पृ० ६७. (३) पिण्डनिर्युक्तिभाष्य ४.
(४) वही, वृत्ति मलयगिरि, पृ० १२५- ६०.
(५) वही, पिण्डनिर्युक्ति ४२७. (६) मरणसमाधि, ४९१.
८७. ( १ ) भगवतीसूत्र ५५३ .
(२) स्थानांगवृत्ति - अभयदेव,
पृ० ५२३.
(३) कल्पसूत्रवृत्ति - विनय विजय, पृ० ३८.
८८. भगवतीसूत्र, ५५८.
८९. (१) राजप्रश्नीय सूत्र १४२ एफएफ. (२) आवश्यकनिर्युक्ति ४६९. (३) बही, चूर्णि I, पृ० २७९. (४) विशेषावश्यक १९२३. (५) आवश्यकसूत्रवृत्ति
९०. आवश्यकचूर्णि I, पृ० ४९५.
९१. समवायांग १५७.
९२. (अ) समवायांग २४, १५७. (ब) नन्दीसूत्र भाग ५, १९. (स) स्थानांग ५३. (द) आवश्यकनिर्युक्ति, ४२४.
९३. आवश्यकनिर्युक्ति, ४०८.
९४. (१) अन्तकृद्दशा - ९.
हरिभद्र, पृ० १९७.
(२) उत्तराध्ययनवृत्ति नेमिचन्द्र, पृ० ३७. (३) समवायांग १५८.
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