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जैन धर्म का उद्गम और विकास
आचार्य भिक्षु द्वारा 'तेरापंथ' की स्थापना हुई। वर्तमान के इस सम्प्रदाय के नायक तुलसी गणि है, जिन्होंने अणुव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन किया है। दिगम्बर सम्प्रदाय में भी १६ वीं शती में तारण स्वामी द्वारा मूर्ति पूजा निषेधक ग्रंथ की स्थापना हुई, जो तारणपंथ कहलाता है। इस पंथ के अनुयायी विशेषरूप से मध्यप्रदेश में पाये जाते हैं। इन दिगम्बर-श्वेताम्बर सम्प्रदाय भेदों का परिणाम जैन गृहस्थ समाज पर भी पड़ा, जिसके कारण जैनधर्म के अनुयायी आज इन्हीं पंथों में बंटे हुए हैं। इस समय भारतवर्ष में जैनधर्मानुयायियों की संख्या पिछली भारतीय जनगणना के अनुसार लगभग २० लाख है।
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