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भार्या-भारिश्रा । वयं-वरिश्र । वीर्य-वीरित्र । स्थैर्य-थेरिन ।
सूर्य-सरिन । सौन्दर्य-सुंदरिश्र । शौर्य-सोरिम । उपर्युक्त सभी उदाहरणों में 'रिय' भी समझना चाहिए । लेकिन यह विधान व्यापक न होकर प्रयोगानुसारी है देखिए-ज विधान नियम-५। पैशाची भाषा में 'य' के स्थान में 'रिय' भी बोला जाता है।
सं०
पै०
. प्रा० भार्या भारिया, भजा भजा शर' के स्थान में 'रिस' आदर्श-श्रायरिस, श्रायंस । दर्शन-दरिसण,
दसण । सुदर्शन- सुदरिसण, सुदंसण । 'र्ष " " " वर्ष-वरिस, वास । वर्षशत--वरिससय,
वाससय । वर्षा--वरिसा, वासा । 'ह' " " " रिह अहंति-अरिहइ । अर्ह--अरिह । गर्दा-गरिहा ।
बह-बरिह। स्त्रीलिङ्गी पद के संयुक्त व्यञ्जनों में स्वरों का आगम . 'ध्वी' के स्थान में 'घुवी' लध्वी-लघुवी, लहुवी। थ्वी " " " थुवी पृथ्वी-पुथुवी, पुहुवी । द्वो , " " दुवी मृद्री-मिदुवी, मिउवी। न्वी " " , गुवी तन्वी-तणुवी। वी ,,
रुवी गुर्वी-गुरुवी। . ही , , , हुवी बहो-बहवी।
(पालि भाषा में भी कई संयुक्त व्यञ्जनों के बीच में स्वरों का श्रागम होता है। देखिये-पा० प्र० पृ० ४६ (नि०६२), पृ० ३२, पृ० ११, पृ० २६२ स्त्री प्रत्यय ।)
१. हे० प्रा० व्या० ८।४।३१४ । २. हे० प्रा० व्या०८।२।१०५। १०४। ३. हे० प्रा० व्या० बा२११३ ।
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