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________________ ( पालि भाषा में ष्प को प्फ तथा स्फ को फ और फ होता है | देखिये- पा० प्र० पृ० ३६ ) १३. "" को 'भ' 'हृ' को 'भ' 'भ' विधान ह्वान - भाग । हृयते भयए आह्वान - श्रब्भाण । श्राह्वयते - श्रब्भयते । जिह्वा जिम्मा, जीहा । विह्वल - बिन्भल, भिन्भल, विहल ! ( पालि भाषा में भी ह्न को भ होता है । देखिये - पा० प्र० पृ० पृ० ३५ टिप्पण | ) I ६४ तथा गह्वर- गब्भर 'म' विधान १४. 'म्म १२ को 'म' 'न्म' को 'म्म' युग्म - जुम्म, जुग्ग | तिग्म - तिम्म, तिग । जन्म - जम्म । मन्मथ - वम्मह । मन्मन-मम्मण । ( पालि भाषा में ग्म को गुम तथा न्म को म्म होता है । देखिये - पा० प्र० पृ० क्रमश: ४९ तथा ४६ ) 'दम' को 'म्ह' "" "" पक्ष्म-पम्ह । पदमल-पहल | कश्मीर - कम्हार । कुश्मान - कुम्हाण | उष्मा - उम्हा | ग्रीष्म- गिम्ह | श्रस्मादृश - श्रम्हारिस | विस्मय - विम्य । ब्रह्म - बंम्ह | ब्राह्मण - ब्रम्हण | ब्रह्मचर्य - बम्हर, बंभवेर । सुझ-सुम्ह । ( अपभ्रंश भाषा में पूर्वनिर्दिष्ट म्ह के स्थान में 'भ' भो बोला जाता 1) 'श्म' 'हम' ” 'स्म' 'ह' "" ( ७२ ) प्रतिस्पर्धते - पडिप्फद्धए। बृहस्पति-बुहप्फर, बिहफद्द, बुहप्पर, बिहप्पर । वनस्पति-वणप्फइ । 1 "" " "" "" १. हे० प्रा० व्या० ८२५७५८ । २. हे० प्रा० व्या० ८ २६२, ६१, ७४ । ३. हे० प्रा० व्या० ८|४|४१२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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