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________________ ( ४८ ) "थ' का परिवर्तन 'थ' को 'द' प्रथम-पढम । मेथि-मेढि । सं० मेघि । शिथिल सिढिल । निशीथ-निसीढ, निसीह । पृथिवी- . पुढवी, पुहवी। (पालि में 'पठवी' होता है । देखिये-पा०प्र० पृ. ५६-५-ठ) 'थ' को 'ध' पृथक्-पिधं, पिहं । __ "द' का परिवर्तन 'द' को 'ड' 'दंश्-डंस्। दह-डह् । कदन-कडण, कयण । दग्ध-दड्ढ, दड्ढ़ । दण्ड-डंड, दंड । दम्भ-डंभ, दंभ । दर्भ-डब्भ, दब्भ । दष्ट-डह, दह आदि । (पालि भाषा में 'द' को 'ड' होता है। देखिये-पा० प्र० पृ० ५६-द-ड) 'दित' को 'एण' रुदित-रुण्ण । 'द' को 'ध' 'दीप-धीप, दीप् । '६' को 'र' एकादश-एबारह । द्वादश-बारह । त्रयोदश-तेरह । 'कदली-करली । गद्गद्-गग्गर । १. हे० प्रा० व्या० ८।१।२१५, २१६, १८८ । २. हे० प्रा० व्या० ८०२१८, २१७, २०६, २२३, २१६, २२०, २२१, २२२, २२४, २२५ । : इस चिह्न वाले शब्द धातु हैं, अतः इन धातुओं के सभी रूपों में यह नियम लगता है। * यहाँ दकार वाले सभी शब्दों को संख्यावाचक समझना चाहिए। जो शब्द संख्यावाचक नहीं है उनको यह नियम नहीं लगता। + यहाँ कदली का अर्थ 'केले का वृक्ष' नहीं है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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