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________________ वैदिक भाषा में 'ड' के स्थान में 'ळ' हो जाता है । "अग्निमीळे पुरोहितम्" भूग्वेद का प्रारम्भिक छन्द । (पालि भाषा में भी 'ड' को 'ल' हो जाता है। देखिए--पा० प्र० पृ० ४३, ड = ळ) १४. मागधी भाषा को छोड़कर सभी प्राकृत भाषाओं में 'श' ' तथा 'ष' के स्थान में 'स' होता है । कुश-कुस। दश-दस। विशति-विसह। शब्द-सद्द । शोभा-सोहा । कषाय-कसाय । घोष-घोस । निकष-निकस । पण्ड-संड । पौष-पोस । विशेष-विसेस । शेष-सेस । निःशेष-नीसेस । मागधी भाषा में 'श', 'ष' तथा 'स' के स्थान में केवल 'श' ही बोला जाता है। मा० शोभन शोभण सोहण । श्रुत शुद सुत्र। सारस शालश सारस । हंश हंस । पुलिश पुरिस । यदि अनुस्वार से परे 'ह' आया हो तो उसके स्थान में 'घ' भी हो जाता है। सिंह सिंघ, सीह । संहार संघार, संहार । १६ (अपवादनियम को छोड़कर सामान्य प्राकृत में बताए सभी नियम शौरसेनी, मागधी, पैशाची, चूलिका-पैशाची अोर अप सं० प्रा० पुरुष १. हे० प्रा० व्या०८/१२६० तथा ८४३०६ । २. हे० प्रा० व्या०८/४/२८८, ३. हे० प्रा० व्या०८।१।२६४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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