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( ३२ )
'औ' को 'उ'' शौद्धोदनि सुद्धोअणि सौवर्णिक सुवरिणश्र दौवारिक
दुवारिश्र सौन्दर्य
सुन्देर कौक्षेयक कुच्छेअय, कोच्छेप्रय (पालि भाषा में 'श्रौं' को 'उ' होता है। देखो-पा० प्र० पृ० ५-औ= उ)
'औ' को 'श्राव'२ नौ
नावा गौ
गावी -:*:
व्यञ्जन का परिवर्तन अन्त्य व्यञ्जन और दो स्वरों के बीच में रहनेवाले (संयुक्त) व्यञ्जन का सामान्य परिवर्तन ।
लोप
(क) शब्द के अन्तिम व्यञ्जन का लोप हो जाता है । तमस्
तम सं० तम तावत्
ताव अन्तर्गत
अन्तग्गय पुनर्
पुण अन्तर-उपरि
अन्तोवरि (पालि भाषा में भी शब्द के अन्तिम व्यञ्जन का लोप हो जाता है: विद्युत्-विज्जु । देखिये-पा० प्र० पृ० ६, नियम ७)
१. हे० प्रा० व्या० ८१।१६०, १६१। २. हे० प्रा० न्या. ८१११६४। ३. हे० प्रा० व्या०८।१।११॥
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