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( ३२७ ) इसि (ऋषि): ऋषि । तव ( स्तव ) = स्तुति, स्तवन । नेह ( स्नेह )=स्नेह, प्रीति । सर (स्मर)= स्मर, कामदेव । पाउस (प्रावृष)-वर्षा ऋतु, बरसात । वुत्तंत ( वृत्तान्त )= वृत्तान्त, समाचार । नत्तुअ, नत्तिअ ( नप्तृक )= नप्तृक, नाती, लड़की का लड़का। वुड्ढ ( वृद्ध ) = वृद्ध, बूढ़ा व्यक्ति । कंद ( स्कन्द )= स्कन्द, कार्तिकेय । हरिबंद ( हरिश्चन्द ) = हरिश्चन्द्र राजा ।
नपुंसकलिङ्ग दुद्ध ( दुग्ध)= दूध । सित्थ (सिक्थ ) = एक कण मात्र ।
आमलय ( आमलक ) = आँवला । बिबय (बिम्बक )= प्रतिबिंब । कुंडलय ( कुण्डलक) = कुण्डल । उप्पल ( उत्पल ) = उत्पल, कमल । मसाण ( श्मशान )= श्मशान, मसान । अहिन्नाण ( अभिज्ञान )= अभिज्ञान, निशानी, वह चिन्ह जिसे
देखकर पूर्व की घटना का स्मरण होना, स्मृति-चिन्ह । चम्म (चर्मन् )= चमड़ा, चाम । पुट्ठय (पृष्ठक ) = पीठ अथवा पूठा ।
स्त्रीलिंग गोट्ठी ( गोष्ठो ) = गोष्ठी । विठ्ठि, वेट्ठि (विष्टि) = बेगार उतारना, अभिरुचि से काम न करना।
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