________________
( ३२२ ) भूतकालिक रूपखामसी, खामही, खामहीम खामंसु, खामिसु, खामित्थ खामेसी, खामेही, खामेहोस खमावसी,खमावही, खमावहीम खमावंसु, खमाविसु, खमावित्थ खमावेसी, खमावेही, खमावेही ( ये सभी रूप सर्वपुरुष-सर्ववचन में प्रयुक्त होते हैं ।) भविष्यत्काल में केवल एकवचन के रूपखाम-खामिस्सं खामेस्सं
खामिस्सामि, खामेस्सामि
खामिहामि, खामेहामि खामे-खामेस्सं, खामेस्सामि, खामेहामि, खामेहिमि खमाव-खमाविस्सं, खमावेस्सं
खमाविस्सामि, खमावेस्सामि, खमाविहामि, खमावेहामि
खमाविहिमि, खमावेहिमि खमावे-खमावेस्सं, खमावेस्सामि
खमावेहामि, खमावेहिमि सर्वपुरुष) खाम-खामेज्ज, खामेज्जा सर्ववचन) खमाव-खमावेज्ज, खमावेज्जा।
आज्ञार्थ खाम-खममु, खामामु, खामिमु, खामेमु खामे-खामेसु, खामेहि, खामे खमाव-खमावउ, खमावतु खमावे-खमावेउ, खमावेतु .
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org