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( २९४ )
चउरंस, चउरस्स ( चतुरस्र )=चौरस, चतुष्कोण । नेहालु (स्नेहालु) = स्नेही, स्नेहवाला । छाहिल्ल, छायालु ( छायालु)= छाया वाला। जडालु ( जटाल )= जटा वाला, जटाधारी । रसाल, रसालु ( रसालु) = रसाल, रस वाला। रत्त ( रक्त ) = रक्त, लाल, रंगा हुआ। ठड्ढ ( स्तब्ध )= स्तब्ध, स्तम्भित, ठंढा । तिण्ह ( तीक्ष्ण )= तीक्ष्ण, तेज । अहिनव ( अभिनव ) = अभिनव, नया । उच्चिट्ठ ( उच्छिष्ट )= जूठा। तंस ( व्यस्र )= त्रिकोण ।
अव्यय णवर ( केवल )= केवल । णाणा ( नाना)= नाना प्रकार, विविध । बहिद्धा ( बहिर्धा )= बाहर । तहिं ( तत्र )= वहाँ । जहिं ( यत्र )= जहाँ। कहिं ( कुत्र ) = कहाँ।
वाक्य (हिन्दी) अण्डे को मत खाओ। वह पाप प्रवृत्ति न करे। हे चित्र ! जाओ और मृग को खोजो । मुनि असंयम से विरत रहे । तू चौक में जा और अनार ला ।
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