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चौदहवाँ पाठ
भविष्यत्काल स्वरान्त धातु के भविष्यत्काल के रूप साधने के लिए तृतीय पाठ में केवल स्वरान्त धातु के लिए जो विशेष साधनिका बताई है उसी का उपयोग करना चाहिए।
अंगों की समझ विकरणविहीन विकरणयुक्त हो*
हो पाअ
ने हो, पा, ने का रूप ( उदाहरण ) प्र०पु० होस्सं होइस्स होएस्सं ,,, पास्सं पाइस्सं पाएस्सं ,, ,, नेस्सं नेइस्सं नेएस्सं
कुछ अनियमित रूप
कर भविष्यत्काल में 'कर' के बदले 'का' भी प्रयुक्त होता है और * पालि भाषा में 'हू (भू ) धातु के हू, हे, हो-ये तीन रूप होते हैं,
प्राकृत में 'हे' नहीं होता ( देखिए, पा० प्र० पृ० २०५ )। १. हे० प्रा० व्या० ८।४।२१४ ।
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