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( २३१ ) पुराना सब सच्चा है ऐसा भी नहीं और नया सब झूठा है ऐसा भी नहीं। आर्यों को नमस्कार । पूर्वाह्न के समय सूर्य का पूजन किया । हिन्दुस्तानी सस्ता अन्न खाते हैं ।
वाक्य (प्राकृत) बाला धाविसु । मा य चंडालियं कासी'। तवस्स वाघायकरं वयणे वयासी। इमं पण्हं उदाहरित्था । गोयमो समणं महावीरं एवं वयासी । सोलं कहं नायसुतस्स आसी? नमिरायो देविंदमिणमब्बवी। अंगणम्मि बाला मोरा य नच्चिसु । ते पुत्ता जणयं इणं वयणं कहिंसु । वद्धमाणो जिणो अभू । सो दुद्धं पासी। तुमं छगलयं गाम नही। माणवा हसी। जिणा एवं कहिंसु । आसी अम्हे महिड्ढिया । तेणं कालेणं तेणं समयेणं पाडलिपुत्ते नयरे होत्था ।
संस्कृत का ‘मा कार्षीत्' ( अद्यतनभूत तृ० एकव. ) रूप और यह 'मा कासी' रूप बिल्कुल एक जैसे हैं ।
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