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________________ ( २११ ) जुज्झ, जुद्ध ( युद्ध ) = युद्ध । कारण ( कारण ) = कारण । पय ( पद )= पद, चरण । सत्थ ( शस्त्र )= शस्त्र, हथियार । महाभय, महब्भय ( महाभय ) = बड़ा भय । रय ( रजस् ) = रज, पाप, धूल । अरविंद ( अरविन्द ) = अरविन्द, कमल विशेष । दाण ( दान ) = दान । छत्त ( छत्र )= छत्र, छत्री, छाता । बम्हचेर, बंभचेर ( ब्रह्मचर्य ) = ब्रह्मचर्य, सदाचारवृत्ति, बह्म में परायण रहना। सच्च ( सत्य ) = सत्य । अभयप्पयाण ( अभयप्रदान ) = अभयदान, प्राणियों को निर्भय करना। असाय, असात ( असात)= असाता होना, सुख न होना, दुःख होना। रज्ज ( राज्य ) = राज्य ।। सरण ( शरण )= शरण, आश्रय । धीरत्त (धीरत्व )= धीरत्व, धैर्य, धीरता । पुप्फ (पुष्प) = पुष्प, फूल । अत्थ ( अस्त्र )- अस्त्र, फेंककर मारने का हथियार | सत्थ ( शास्त्र) = शास्त्र । चेइअ ( चैत्य ) = चिता ऊपर बनाया हुआ स्मारक चिह्न-छत्री, चरणपादुका, वृक्ष, कुंड, मूर्ति आदि । साय, सात ( सात )= साता, सुख होना । गुरुकुल ( गुरुकुल ) = सदाचारी गुरुओं का निवासस्थान । सुत्त ( सूत्र ) = सूत्र, छोटा वाक्य । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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