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नो
च
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बहिआ - बहिया बज्झओ
अ
य
(च) = और |
( १८६ )
अव्यय
( नो, नहि ) = नहीं । । जहासुतं ( यथासूत्रम् ) = सूत्र के अनुसार ।
( बहिर् ) = बाहर |
( बाह्यतः) = बाहर की ओर
धातु
गवेषणा करना, शोधना ।
ण
पुण
उण
तत्तो (ततः) = उससे । कि ( किम् ) = किसलिए |
गवेस् ( गवेष )
वस् ( बस ) = निवास करना, रहना ।
वय् ( वद ) = बोलना ।
पिब् ( पिब ) = पीना । आ + पिब् आ + पिय् =
=
थोड़ा पीना ।
=
मर्यादा से पीना ।
आ + विय् = किसी प्राणो की हानि न हो इस रीति से चूसना ।
प्र० हाहा
द्वि० हाहां
जय् ( जय ) = जीतना ।
हव्, भव् ( भव ) = होना ।
पढ् ( पठ ) = पढ़ना ।
सोअ, सोच् ( सोच ) = सोचना, विचारना, शोक करना । भण् ( भण) = पढ़ना ।
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आकारान्त पुंलिंग हाहा शब्द के रूपः
एकव ०
बहुव ०
(पुनः) = पुनः, दुबारा फिर से ।
हाहा
हाहा
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