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। पितरौ वन्दे ।
प्राकृतमार्गोपदेशिका
( अक्षर परिवर्तन-व्याकरणविभाग ) वर्णविज्ञान
" प्राकृत भाषा में प्रयुक्त होनेवाले स्वरों और व्यञ्जनों का परिचय इस प्रकार है
:
स्वर
ह्रस्व
अ
aa
दीर्घ
श्रा
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श्री श्रो
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उच्चारण-स्थान
कण्ठ- गला
तालु-तालु श्रोष्ठ- होठ
कण्ठ तथा तालु कण्ठ तथा श्रोष्ठ होठ
१. प्रस्तुत पुस्तक में प्राकृत, पालि, तथा चूलिका-पैशाची और अपभ्रंश भाषा के किया गया है श्रतः प्राकृत भाषा से समझनी चाहिए ।
२. एक्क, तेल्ल श्रादि शब्दों का 'ए' और सोत्त, तोत्त श्रादि
शब्दों का 'श्री' ह्रस्व है ।
शौरसेनी, मागधी, पैशाची, व्याकरण का समावेश उक्त सभी भाषाएँ
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