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________________ [ मेरी आंख अच्छी नहीं, काशी और अहमदाबाद में काफी दूरी, अतः इसमें बहुतसी गलतियाँ रह गयी होगी, अभ्यासीगण इनको सुधार करके पढ़ेंगे और कष्ट के लिए मुझे क्षमा प्रदान करेंगे । १२ ] मेरे मित्र और पाटण ( उत्तर गुजरात) आर्टकालेज के अर्द्धमागधी के प्रधान अध्यापक भाई कानजीभाई मंछाराम पटेल एम० ए० ने ही शुद्धिपत्रक वगैरह तैयार कर दिया है अतः उनका भी नामस्मरण सस्नेह कर देता हूँ । १२शब, भारतीनिवास सोसायटी अमदाबाद ६ हिन्दी भाषा द्वारा प्राकृतभाषा को पढ़ने का यह एक विशिष्ट साधन तैयार करके प्राकृतभाषा के अध्यापक तथा छात्रों के सामने सविनय रख रहा हूँ । यदि सुधी पाठक इसका उपयोग करके मुझे उत्साहित करेंगे और देश में प्राकृतभाषा के अभ्यास को इससे थोड़ी-बहुत सहायता मिलेगी तो मेरा और अनुवादिका का परिश्रम सफल समझा जायेगा । अन्त में, इस संस्करण के संबन्ध में जो कुछ सूचना या सुझाव देने हों तो मुझे नीचे के पते पर भेजने की कृपा करें यही मेरी प्रार्थना अध्यापक तथा विद्यार्थिबन्धुओं से है । Jain Education International शिवमस्तु सर्वजगतः बेचरदास दोशी रिसर्च प्रोफेसर ला० द० भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर - स्कूल ओफ इंडोलोजी अमदाबाद ६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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