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________________ ... ( १०७ ) अलग-अलग विभक्ति वाले हों तो उसे वहिकरण (व्यधिकरण) बहुव्वीहि कहते हैं। समानाधिकरण बहुव्वीहि के उदाहरण : आरूढो वाणरो जं रुक्खं सो आरूढवाणरो रुक्खो ( वृक्षः)। जिआणि इंदियाणि जेण सो जिइंदियो मुणी । जिओ कामो जेण सो जिअकामो महादेवो । जिआ परीसहा जेण सो जिअपरीसहो गोयमो । भट्ठो आयारो जस्स सो भट्ठायारो जणो । नट्ठो मोहो जस्स सो नट्ठोमोहो साहू । घोरं बंभचेरं जस्स सो घोरबंभचेरो जंबू । समं चउरंसं संठाणं जस्स सो समचउरंससंठाणो-रामो। कओ अत्थो जस्स सो कयत्थो कण्हो । आसा अंबरं जेसि ते आसंबरा। सेयं अंबरं जेसि ते सेयंबरा। महंता बाहुणो जस्स सो महाबाहू । पंच वत्ताणि जस्स सो पंचवत्तो-सीहो । चत्तारि मुहाणि जस्स सो चउम्मुहो-बम्हा । एगो दंतो जस्स सो एगदंतो-गणेसो। वीरा नरा जम्मि गामे सो गामो वीरणरो। सुत्तो सिंघो जाए सा सुत्तसीहा गुहा । वधिकरण बहुव्वीहि : चक्कं पाणिम्मि जस्स सो चक्कपाणी। गंडीवं करे जस्स सो गंडीवकरो अज्जणो। उपमान जिसके प्रथम पद में है ऐसे बहुव्वीहि के उदाहरण : मिगनयणाई इव नयणाणि जाए सा मिगनयणा । . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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