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समास के प्रसिद्ध चार भेद अथवा प्रकार निम्नलिखित हैं १. दंद ( द्वन्द्व ), २. तप्पुरिस ( तत्पुरुष ), ३. बहुब्वीहि ( बहुव्रीहि ), ४. अव्वईभाव ( अव्ययीभाव ) । जिन शब्दों का समास किया जाता है उन्हें अलग-अलग कर देने को विग्रह कहते हैं, विग्रह याने अलग करना ।
१. द्वन्द्व समास :--
द्वन्द्व याने जोड़ा ( युगल ), द्वन्द्व समास के जोड़े में प्रयुक्त दो अथवा दो से भी अधिक शब्दों में कोई मुख्य अथवा गौण नहीं होता अर्थात् द्वन्द्व समास में प्रयुक्त सभी शब्दों को समान मर्यादा है । जैसे :-- - 'मातापिता', 'सगा सम्बन्धी' ये दोनों उदाहरण द्वन्द्व समास के हैं । उसी प्रकार 'पुण्णपावाई', 'जीवाजीवा', 'सुहदुक्खाई', 'सुरासुरा' आदि उदाहरण भी द्वन्द्व समास के हैं । द्वन्द्व समास का विग्रह इस प्रकार है :
पुण्णं च पावं च पुण्णपावाई | जीवा य अजीवा य जीवाजीवा ।
:
सुहं च दुक्खं च सुहदुःखाइं । सुरा य असुरा य सुरासुरा ।
द्वन्द्व समास द्वारा बने शब्द अधिकतर बहुवचन में प्रचलित हैं । इसी प्रकार 'हत्थपाया' ( हस्तपादाः ), 'लाहालाहा' ( लाभालाभा: ), ' सारासार' (सारासारम्), 'देवदाणवगंधण्या' (देवदानवगन्धर्वाः ) आदि । द्वन्द्व समास के विग्रह में य, अ अथवा च प्रयुक्त होता है ।
२. तप्पुरिस समास :
जिस समास का पूर्वपद अपनी विभक्ति के सम्बन्ध से उत्तरपद के साथ मिला हुआ हो वह तत्पुरुष समास कहलाता है । इस समास का पूर्वपद द्वितीया विभक्ति से लेकर सप्तमी विभक्ति तक होता है । पूर्वपद जिस विभक्ति का हो उसी नाम से तत्पुरुष समास कहा जायेगा । जैसे:
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