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________________ 70 ] . प्रस्तावना सामनो करवानुबल पण आपे छे. दुःखना कारणभूत जूनां कर्मोने नाश करवाना उपाय जाणीने जीवो तेनो नाश करी शके छे, दुःखोनां कारणभूत कोने जाणीने जीव तेने समाधिपूर्वक भोगवी शके छे, माटे ज कर्मवादनु ज्ञान जगतनं महान आशीर्वाद रूप छ, विश्वशान्तिना हिमायतीओ, अने जाते सुखी वा इच्छनार सौ कोईनी फरज छे, के कर्मविषयक ज्ञान संपादन करवु अने जगतमां तेने सारी रीते वहेबडाव. प्रस्तुत ग्रन्थ जगतमां कर्मविषयकज्ञानने वहेवडावनार होई विश्व माटे महान उपकारक छे. ___अंतिम निवेदन:-कर्मसाहित्यविषयक ऊंडा तत्वज्ञानथी भरपूर अनेक शास्त्रीनां नचोडरूप प्रस्तुत ग्रन्थनां अध्ययन, अध्यापन, मनन ओ चिंतनधी भव्यात्माओ कर्मनिर्जराना अपूर्व लाभने प्राप्त करे तथा प्रस्तुत ग्रन्थना प्रेरक अने मार्गदर्शक पूज्य आचार्यदेवनी पुण्यतमनिश्रामां तेओश्रीना अंतेवासीओ द्वारा आवा अनेकानेक ताचिक ग्रन्थोनां निर्माण थाय, अने जैन संघ पण आवा ग्रन्थोना सर्जनमा सहायभूत थई श्रृतभक्तिनो लाभ मेळवे अ ज शुभाभिलार. प्रस्तावनाना आलेखनमां जिनाचनविरुद्ध लखायु होय तेनो मिथ्यादुष्कृत दई चिरमुर्छ तथा विद्वज्जनोने ते अंगे सुधारो सूचववा नम्र विनंति करुं छु. । । भी दानसूरीश्वर ज्ञानमंदिर हो काळपुर रोड प्रमदावाद. वि० सं० २०२२ चैत्र सुद १३ लि. सिद्धान्तमहोदधि पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयप्र मसूरीश्वरजो भन्तेवासी पू. पंन्यासप्रवर श्रीभानुविजयाणिवर्यना शिष्यरत्न, स्वर्गत पू. पंन्यात श्रीपद्मविजयगणिवरपादपद्मभ्रमर मुनि हेमचन्द्रविजय. ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001698
Book TitleKhavag Sedhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsuri
PublisherBharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages786
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
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