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[ खवगसेढी
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यन्त्रकम्-१८ (चित्रम्-१८) द्वादशसंग्रहकिट्टीनां संक्रम्यमाणप्रदेशानाश्रित्य चित्रम्
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1. किरा र संकि किस किस किसिफिरिः संकि संकी: मिशि:
संग्रा- हिर
सं ज्वलन लो
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य ल न
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सं व ल न क्रोधः
संकेतस्पष्टीकरण
अनेन चिह्न न विवक्षितसंग्रहकिट्टितो ऽनन्तरसंग्रहकिट्टौदलं संक्रामतीति सूचितम् ( गाथा १२६ ) ०००० अनेन चिह्नन प्रथमसंग्रहकिट्टितो तृतीयसंग्रहकिट्टी दलं संक्रामतीति सूचितम् , तथा मायाद्वितीयसंग्रह किट्टितो लोभप्रथमसंग्रह कि
दृयामपि संक्रम्यमाणदलमनेनैव चिह्न न सूचितम् । (गाथा-१२६॥ * अनेन चिह्नन प्रथमसंग्रहकिट्टितो.ऽनन्तरकषायप्रथमसंग्रह किट्टौ दलं संक्रामतीति सूचितम् । (गाथा-१२६) - - - अनेन चिह्न न द्वितीयसंग्रहकिट्टितो-ऽनन्तरकषायप्रथमसंग्रहकिटौ दलं संक्रामतीति सूचितम् , तथा मायाप्रथमसंग्रह किट्टितो मायातृतीय
संग्रहकिट्टावपि संक्रम्यमाणदलमनेनैव चिह्नन सूचितम् ।*
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