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________________ हैं। वस्तुतः मुनिसंघ में दो प्रकार के दायित्व होते है (१) शिष्यों के अध्ययन-अध्यापन का दायित्व और (२) संघीय अनुशासन एवं प्रशासन सम्बन्धी दायित्व। यही कारण है कि जैन मुनिसंघ में आचार्य और उपाध्याय - ऐसे दो अलग-अलग पदों की व्यवस्था की गई है। जिसका उल्लेख वर्धमानसूरि ने उपाध्याय एवं आचार्य पदस्थापना विधि में किया है। किन्तु इन दोनों पदों के पूर्व वाचनाचार्य और गणी का पद दिया जाता है। प्रस्तुत ग्रंथ में वाचनानुज्ञा विधि में ही गणानुज्ञा विधि का उल्लेख भी हुआ है। यहाँ यह ज्ञातव्य है कि आचार्य के नीचे जो मुनि संघ का प्रशासकीय अधिकारी होता हैं, उसे गणी कहा जाता है और उस पद को प्राप्त करने हेतु गणानुज्ञाविधि सम्पन्न की जाती है। जबकि उपाध्याय पद के नीचे जो अध्यापन कार्य का दायित्व निर्वाह करता है, उसे वाचनाचार्य कहा जाता है और उसके लिए वाचनानुज्ञा की विधि की जाती है। वाचनानुज्ञा का तात्पर्य अध्यापनकार्य करने की अनुमति से है। जो मुनि वाचनानुज्ञा की विधि को सम्पन्न कर अपने अध्यापन के दायित्व को सम्यक् प्रकार से निर्वाह करता है, उसे कालक्रम में उपाध्याय पद प्रदान किया जाता है और जो मुनि गणानुज्ञा प्राप्त करके अपने दायित्व का सम्यक् प्रकार से निर्वाह करता है, उसे कालान्तर में आचार्य पद प्रदान किया जा सकता हैं। वर्धमानसूरि ने प्रस्तुत कृति में इन दोनों पदों पर स्थापन की विधि का भी उल्लेख किया हैं। तत्पश्चात् प्रस्तुत कृति में मुनिजीवन की बारह प्रतिमाओं का वहन किस प्रकार से किया जाना चाहिए, तत्सम्बन्धी विधि-विधान प्रस्तुत किए गए है। भिक्षु प्रतिमाओं की उद्वहन विधि के पश्चात् प्रस्तुत कृति में साध्वी दीक्षा विधि, प्रवर्तिनी पदस्थापना एवं महत्तरा पदस्थापना विधि - इन तीन विधियों का उल्लेख हुआ हैं। ये तीनों विधियाँ मूलतः श्रमणी से सम्बन्धित है। जिस प्रकार श्रमण संघ में उपाध्याय एवं आचार्य के पद होते है, उसी प्रकार श्रमणी संघ में भी प्रवर्तिनी और महत्तरा - इन दो पदों का उल्लेख वर्धमानसूरि ने किया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001694
Book TitleJain Muni Jivan ke Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size15 MB
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