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________________ ..पादिनकर (भाग-२) 150 जैनमुनि जीवन के विधि-विधान पाणीपात्र जिनकल्पियों की अपेक्षा से दो उपकरण, अर्थात् मुंहपत्ति एवं रजोहरण या वस्त्ररहित किन्तु पात्र भोजी जिनकल्पियों के नव उपकरण मुंहपत्ति, रजोहरण तथा सप्तविध पात्र निर्योग होते हैं। जिनकल्प को स्वीकार करने वाली आत्मा प्रथमतः तप, सूत्र (योग्य ज्ञानाभ्यास), सत्त्व, एकत्व और बल - इन पाँच कसौटियों पर स्वयं को कसने के पश्चात् जिनकल्प को स्वीकार करे। स्थविर कल्पी के उपकरण इस प्रकार हैं - मुंहपत्ति, रजोहरण, तीन वस्त्र (कल्प) और सप्तविध पात्र निर्योग - इन बारह उपकरणों के साथ मात्रक और चोलपट्टा (अधोवस्त्र) इन दो उपकरणों को मिलाने पर चौदह प्रकार की उपधि स्थविरकल्पी की होती है। वह इस प्रकार हैं - १. पात्र २. पात्रबंध ३. गुच्छा ४. पूंजणी ५. पटल (पड़ला) ६. रजसाण ७. पात्रस्थापन - ये सात पात्र सम्बन्धी उपधि तथा तीन वस्त्र, रजोहरण, मुंहपत्ति - इन बारह उपकरणों के साथ तेरहवाँ उपकरण मात्रक और चौदहवाँ उपकरण चोलपट्टा (अधोवस्त्र) - यह साधुओं के उपकरण की संख्या है। उपधि का परिमाण इस प्रकार है : तीन बेंत और चार अंगुल परिधि वाला पात्र मध्यम परिमाण वाला होता है। इससे न्यून जघन्य परिमाण वाला तथा इससे अधिक पात्र उत्कृष्ट परिमाण वाला होता है। झोली का परिमाण पात्र के अनुसार होता है। जैसे - झोली की गाँठ लगा देने के पश्चात् उसके छोर चार अंगुल लटकते रहने चाहिए। पात्र स्थापनक, गुच्छे एवं पूँजणी का परिमाण एक बेंत चार अंगुल है। सामान्यतः ढाई हाथ लंबे और छत्तीस अंगुल चौड़े पड़ले होते हैं, अथवा पड़लों का परिमाण पात्र एवं अपने शरीर के अनुसार होता है। ग्रीष्म, हेमन्त और वर्षा-ऋतु में जीवों की रक्षा के लिए केले के गर्भ के समान उत्कृष्ट, मध्यम और जघन्य संख्या वाले पड़ले अवश्य रखने चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में तीन-चार-पाँच, हेमन्त-ऋतु में चार-पाँच-छ: तथा वर्षा-ऋतु में पाँच-छ:-सात पड़ले होते हैं। पडले मोटे और स्निग्ध होने चाहिए। रजसाण का परिमाण पात्र के परिमाण के अनुसार होता है। पात्रों को रजस्राण से प्रदक्षिणाकार में लपेटने पर रजसाण चार अंगुल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001694
Book TitleJain Muni Jivan ke Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size15 MB
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