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7.11.87 श्री अनुशासनाश्री जी 'गंगाशहर' (सं. 2038 - वर्तमान) 9 / 513
आपका जन्म संवत् 2022 बंगाई गांव (असम) में गंगाशहर निवासी श्री मूलचंदजी सामसुखा के यहां हुआ, तथा दीक्षा माघ शुक्ला 7 को गंगाशहर में हुई। आप विदुषी साध्वी हैं, संघीय योग्यतर परीक्षाएं एवं जैन विश्व भारती संस्थान द्वारा दर्शन में एम. ए. प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया।
7.11.88 श्री हेमरेखाश्री जी 'लाडनूं' (सं. 2039 ) 9/516
आप संवत् 2015 को लाडनूं के श्री उदयचंदजी सिंघी के यहां जन्मी तथा दीक्षा संवत् 2039 चैत्र शुक्ला 2 को लाडनूं में हुई। आप प्रतिवर्ष 60 से 65 उपवास करती हैं, 16 वर्षों से श्रावण-भाद्रपद में एकान्तर तप चलता है। आप परिषह जयिष्णु भी हैं, लगभग 18 वर्षों से सर्दी में मात्र एक चादर का ही उपयोग करती हैं।
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
7.11.89 श्री काव्यलताजी 'गादाणा' (सं. 2039 - वर्तमान) 9/521
श्री नाहरमलजी बाणगोता की सुपुत्री हैं, संवत् 2019 में आपका जन्म हुआ, और कार्तिक शुक्ला 11 को राणावास में दीक्षा हुई। विशेष रूप से आप तपस्विनी हैं, लगभग 800 उपवास, 150 बेले इतने ही तेले, पांच बार 5, दो अठाई, एक 21, धर्मचक्र, कंठीतप, दो महीने एकांतर आदि तप करती रहती हैं। दीक्षा से पूर्व भी आपने 1 से 13 उपवासों की लड़ी की है। आपके तप के कुल दिन 2758 हैं। तप के साथ आपकी मुक्तक की पुस्तक 'अध्यात्म के पुष्प' भी प्रकाशित है। एक साथ तीन रजोहरण तैयार कर अपनी कार्यकुशलता का परिचय भी दिया।
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7.11.90 श्री परमयशाजी 'बीदासर' (सं. 2040 - वर्तमान) 9 / 534
गोलेछा गोत्रीय श्री शोभाचंदजी के यहां संवत् 2015 में आपका जन्म हुआ, माघ शुक्ला 13 को बीदासर में दीक्षा अंगीकार की। आपने आगम, दर्शन, भाषा साहित्य के साथ 'आचार्य महाप्रज्ञजी का नैतिक दर्शन' पर पी. एच. डी. की डिग्री प्राप्त की। समसामयिक विषयों पर कई शोध निबंध लिखे । 'संगीत सुमेरु' पुस्तक का निर्माण भी किया, साथ ही 1 से 9 तक तपस्या की है।
7.11.91 श्री अमितरेखाजी 'जसोल' (सं. 2041 - वर्तमान) 9 / 542
आप श्री चंदनमलजी छाजेड़ के यहां संवत् 2023 को जन्मीं, माघ शुक्ला 6 को जसोल में आपकी दीक्षा हुई। आगम, स्तोक, संस्कृत आदि ज्ञान के साथ आप सेवाभाविनी साध्वी हैं, इसके लिये वे आचार्य एवं साध्वी प्रमुखा द्वारा पुरस्कृत भी हुईं। आपने 815 उपवास, 71 बेले, 46 तेले, 2 चोले व 1 अठाई तथा 8 बार दस प्रत्याख्यान किये। प्रतिदिन एक हजार गाथाओं का स्वाध्याय भी नियमित रूप से करती हैं।
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7.11.92 श्री मलयप्रभाजी 'गोगुंदा' (सं. 2042 - वर्तमान) 9 / 550
आपका जन्म सं. 2017 में श्री रोशनलालजी पोरवाल के यहां हुआ, फाल्गुन शुक्ला 2 को गोगुंदा में दीक्षा ग्रहण की। आप तपस्विनी साधिका हैं। उपवास, बेले, तेले, अठाई के साथ 35 बार दस प्रत्याख्यान कर चुकी
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