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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
कर्मयोगी, संस्कृत निबंध संग्रह, गीत संदोह, संस्कृत गीतिमाला, गीतिगुच्छ (संस्कृत-काव्य ) । तथा शोध निबंध में जैन योग मीमांसा, सम्यक् दर्शन एक तुलनात्मक अध्ययन, जैन दर्शन में ध्वनि विज्ञान, भारतीय जातियों का दैवीकरण, जैन मनीषी संतों का टीका साहित्य, श्वे. तेरापंथी सभा की स्थापना का आदिकाल, आचारांग भाष्य पर एक अनुशीलन, विभिन्न स्थितियों से गुजरता जैन भारती पत्र, राजस्थानी भाषा को आचार्य तुलसी का साहित्यिक अवदान, अहिंसा और विश्वशांति, जैन दर्शन में लोक नियामक तत्व, जैन इतिहास का संक्षिप्त सिंहावलोकन, जैन शासन के प्रभावक राजवंश आदि आपकी मौलिक रचनाएँ हैं। संवत् 2027 से आप अग्रणी के पद पर नियुक्त होकर धर्म का विशिष्ट प्रचार प्रसार कर रही हैं।
7.11.30 श्री जयश्रीजी 'नोहर' (सं. 2003 - वर्तमान) 9 /203
आप श्री जुहारमलजी चोरड़िया की सुपुत्री हैं, आपने 16 वर्ष की उम्र में 'राजगढ़' में आचार्यश्री तुलसी से कार्तिक कृष्णा 1 को दीक्षा अंगीकार की। आपकी तीन बहनें श्री भीखांजी (1993), श्री राजकंवरजी (2003), श्री रंभाकंवरजी (2009) भी दीक्षित हैं। आपने आगम ज्ञान के साथ चित्र व संगीत कला में भी दक्षता प्राप्त की । आपकी कृतियां -निरामया, (आयुर्वेदीय ग्रंथ) शकुन - साधना मुख्य हैं।
7.11.31 श्री राजकंवरजी 'नोहर' (सं. 2003 - वर्तमान) 9/205
आप जयश्रीजी की बहन हैं, उन्हीं के साथ दीक्षित हुईं। आपने लड़ीबद्ध 1 से 21 तक उपवास किये और एक 31 किया। अठाई तक की तपस्या तो आप कई बार कर चुकी हैं। आयंबिल भी 55, 54, 45 एवं एक से पन्द्रह तक लड़ीबद्ध किये। अन्य भी तपस्या की। इसके अलावा 21 महीने दूध व पानी पर 8 मास केवल दूध, 5 वर्ष मात्र दूध-पानी-रोटी 25 वर्ष मात्र 5 द्रव्य आदि करके खाद्य-संयम का परिचय दिया। आपने 6 मास पूर्ण मौन की साधना, फिर 22 वर्ष तक पूर्ण मौन, 10 वर्ष दो घंटे रखकर मौन आदि दीर्घकालीन ध्यान व मौन साधना की।
7.11.32 श्री मोहनांजी 'श्रीडूंगरगढ़' (सं. 2003 - वर्तमान) 9/212
आपका जन्म श्री मोतीलालजी मालू के यहां हुआ। 13 वर्ष की उम्र में सं. 2003 माघ शुक्ला को आपने चूरू में दीक्षा ली। आपने आगमज्ञान के साथ श्री प्रेमलताजी के सहयोग से चार कृतियां लिखीं- (1) व्यवसाय प्रबंधन के सूत्र और आचार्य भिक्षु की मर्यादाएं (2) अंक सम्राट् आचार्यश्री तुलसी (शोध ग्रंथ) (3) प्रणाम (लघु काव्य ) (4) अरहन्ते शरणं पवज्जामि (लघु काव्य) संवत् 2026 से आप संघाड़े की प्रमुखा बनकर विचरण कर रही हैं।
7.11.33 श्री रामकंवरजी 'लाडनूं' (सं. 2005 - वर्तमान) 9 / 223
आपका जन्म संवत् 1989 बैद गोत्रीय श्री अमीचंदजी के यहाँ हुआ। अपनी भुआजी की शादी में विदाई गीत सुनकर आप वैराग्य को प्राप्त हुईं, तथा अपनी बहन जतनकंवर के साथ संवत् 2005 चैत्र शुक्ला 11 को लाडनूं में दीक्षा ग्रहण की। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी आपकी भुआ लगती हैं। आपने आगम एवं प्रायः सभी संघीय साहित्य का अध्ययन किया, तथा प्याले, गिलास, प्लेट आदि अनेक छोटी-बड़ी वस्तुएं बनाईं। सं. 2024
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