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________________ 1.8.7 साध्वी मेरी कार्पेन्टर (ई. 1807-77 ) इस पुण्यमयी साध्वी का जीवन-वृत्त अत्यन्त प्रेरणादायक रहा है। सन् 1807 को इंग्लैंड के एक्सीटर नगर में इनका जन्म हुआ। पिता डॉक्टर व पादरी थे एवं माता अतिशय धर्मशीला थी। राजा राम मोहनराय की अपूर्व धर्म श्रद्धा एवं स्वार्थ त्याग देखकर 'मेरी' ने भारतवर्ष की स्त्रियों का कल्याण करने का दृढ़ संकल्प किया। उसने भारत आकर सरकार का ध्यान तीन बातों की ओर केन्द्रित करवाया - (i) स्त्री दशा में सुधार, (ii) सुधारक विद्यालय (अल्पवय के अपराधियों को सुधारने की पाठशाला) एवं (ii) कैदियों की अवस्था में सुधार । 'मेरी' के अखूट उत्साह एवं सतत परिश्रम से देश में कितनी ही कन्याशालाएँ, फिमेल नोर्मल स्कूल एवं अनेकों सुधारक विद्यालयों की स्थापना हुई । सन् 1877 में 'मेरी' का स्वर्गवास हुआ। उसने आजीवन ब्रह्मचारिणी रहकर ईश्वर एवं उसकी संतान पर गहन प्रेम का परिचय प्रस्तुत किया। 78 1.8.8 साध्वी कॉब (ई. 1822-1904 ) कुमारी फ्रांसिस कॉब अमेरिका के अनेक धार्मिक एवं विद्वान् पुरूषों की श्रद्धा - पात्र थी। कुमारी कॉब का जन्म सन् 1822 को डबलिन शहर में हुआ। यह एक श्रेष्ठ लेखिका तथा ग्रन्थकर्त्री विदुषी महिला थी । महात्मा ईसु के प्रति अगाध श्रद्धा एवं प्रेम के कारण अध्यात्म भावों से ओतप्रोत जीवन था । धर्म, कर्म एवं ज्ञान में श्रेष्ठता प्राप्त कुमारी कॉब का स्वर्गवास सन् 1904 में हुआ । 79 जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 1.8.9 साध्वी क्लेरा साध्वी क्लेरा ने ऐसिसि नगर के एक सद्गृहस्थ के यहाँ जन्म ग्रहण किया था। उसने अपना संपूर्ण जीवन भगवत्सेवा का लक्ष्य रखकर प्रख्यात संत फ्रांसिस के चरणों में अर्पित किया हुआ था। 18 वर्ष की उम्र में माता-पिता, धन-संपत्ति आदि का त्याग कर यह फ्रांसिस के मठ में प्रविष्ट हुई। क्लेरा की छोटी बहन 'ऐग्निस' भी सन्यासिनी बनी। क्लेरा ने साध्वियों का मठ स्थापित कर वहाँ ब्रह्मचारिणी बहनों को धार्मिक शिक्षण देने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया । 80 1.8.10 साध्वी लुइसा (ई. 1776-1810 ) दयाधर्म से परिपूरित अन्तः करण वाली यूरोप की महान रानी जिसे 'देवी स्वरूपा' कहा जाता था, वह सन् 1776 में जर्मनी के एक प्रतिष्ठित कुटुम्ब में जन्मीं । परमेश्वर पर आजीवन अटूट श्रद्धा रखती हुई सन् 1810 में स्वर्गवासिनी हुई।" इनके अतिरिक्त इटली के महात्मा गेरिबाल्डी की धर्मपत्नी एनिटा, हिंदुस्तान के प्रसिद्ध हितचिंतक हेन्री फॉसेट की विदुषी पत्नी केरोलीन हर्शेल, साध्वी बहन दोरा (सन् 1832 1878) वीर साध्वी जॉन ऑफ आर्क इत्यादि 78. वही, 129 से 159 79. वही 155-175 80. वही, 176-179 81. वही, 180-189 Jain Education International 20 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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