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जैन श्रमणियों का बहद इतिहास
6.7.160 आर्या रजी (19वीं सदी)
श्री मतिवल्लभ कृत 'चंद्रलेखा चौपाई (रचना सं. 1728) की प्रतिलिपिकी में आर्या वीरा की शिष्या आर्या रजी का उल्लेख है। प्रति बी. एल. इन्स्टी. दि. (परि. 7075) में संग्रहित है।
6.7.161 आर्या रमो (19वीं सदी)
मरूगुजर भाषा में रचित 'पद्मावती रास' की 19वीं सदी में प्रतिलिपिकार के रूप में आर्या रमो का । नामोल्लेख है, प्रति बी. एल. इंस्टी. दि. (परि. 7033) में संग्रहित है। 6.7.162 आर्या राजकुमारी (19वीं सदी)
खेममुनि रचित 'ईषुकार संधि' (रचना सं. 1747) की बाबयरा स्थान पर आर्या राजकुमारी ने 19वीं सदी में प्रतिलिपि की। प्रति बी. एल. इन्स्टी . दि. (परि. 6920) में है। 6.7.163 आर्या अनोखी (19वीं सदी)
गजसुकुमाल चौपई की प्रतिलिपिकर्ता में आर्या अनोखी की शिष्या का नामोल्लेख है। प्रति बी. एल. इन्स्टी. दिल्ली (परि. 6852) में है। 6.7.164 आर्या नगीना ( 19वीं सदी)
मालकवि रचित 'अमरसेन वयरसेन चौपाई' की प्रतिलिपिकार में 'आर्या नगीना' का नाम प्राप्त होता है। प्रति बी. एल. इन्स्टी. दिल्ली (परि. 6804) में संग्रहित है। 6.7.165 आर्या वृद्धि (19वीं सदी)
हेमराजकविकृत 'भक्तामर स्तोत्र भाषा' की पांडुलिपि में आर्या वृद्धि का नाम है। बी. एल. इन्स्टी. दि. (परि. 8515) में संग्रहित है।
6.7.166 आर्या नवलजी (19वीं सदी)
प्रज्ञापना सूत्र मूल पाठ की प्रतिलिपि (लगभग 16वीं सदी) के अंतिम कवर पृष्ठ पर नवलजी के नाम का उल्लेख है। यह प्रति प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर भंडार में संग्रहित है। 6.7.167 आर्या नाथी ( 19वीं सदी)
ऋषि दीप....कृत 'गुणकरंड गुणावली चौपाई' की लिपिकी के रूप में 19वीं सदी की आर्या नाथी का नामोल्लेख है।।
531. राज. हिं. ह. ग्रं. सू. भाग 1, क्र. 412 ग्रं. 4053
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