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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
6.6.3.18 श्री अर्चनाजी 'मीरा' (सं. 2037 )
कर्मठ अध्यवसायी श्री अर्चनाजी का जन्म संवत् 2010 को श्री संपतरावजी कांकरिया के यहां बार्शी में हुआ। वैधव्य के पश्चात् संवत् 2037 फरवरी 15 को बार्शी में ही श्री पानकंवरजी के पास इनकी दीक्षा हुई। ये प्रखर व्याख्यात्री और ओजस्वी गायिका हैं। अध्ययन भी गहन और तलस्पर्शी है। प्रत्येक कार्य में निपुण, मिलनसार तथा व्यवहार कुशल है । श्री आराधनाजी, श्री शिवाजी आदि इनकी 6 शिष्याएँ हैं । 484
6.6.3.19 श्री मंगलज्योतिजी (सं. 2043 )
आप नाहर 'परिवार की कन्या एवं सुराणा कुल की पुत्रवधु हैं। पतिवियोग के पश्चात् श्री रमणिककंवरजी म. सा. के पास दीक्षा अंगीकार की। आप तपस्विनी साध्वी हैं, 53, 47, 45, 42, 41, 37 आदि की सुदीर्घ तपस्याएँ एवं कई छोटी-मोटी अन्य तपस्याएँ की हैं। आप सेवाभाविनी, मधुरभाषिणी हैं । 485
6.6.3.20 श्री रचिताश्रीजी (सं. 2050 )
आप श्री मंगलज्योतिजी की संसारी पुत्री है। घोर तपस्विनी श्री रमणिककंवरजी के पास अक्षय तृतीया सं. 2050 को पाटणा में दीक्षा अंगीकार की। आपने आगम स्तोत्र आदि का अध्ययन तथा हिंदी में एम. ए. किया है। आपकी प्रकाशित पुस्तकें- मौन ग्यारस कथा, भाव प्रतिक्रमण, रमणिक मुक्ताहार, रमणिक स्मृति-ग्रंथ, पानकुंवर स्वर्ण-ग्रंथ, 'पान की जिंदगी का सुवर्ण पृष्ठ' आदि हैं। पान रमणिक शिक्षण फंड की स्थापना आपकी ही प्रेरणा का प्रतिफल है। 48
6.6.3.21 श्री श्रद्धाजी 'आशु' (सं. 2053 )
आप मंदसौर (म.प्र.) के मुरड़िया परिवार की सुपुत्री हैं। माघ शुक्ला पूर्णिमा सं. 2053 को मंदसौर में ही आठ वर्ष की उम्र में आप दीक्षित हुईं। आपने आगम, स्तोक ज्ञान के अतिरिक्त जैन सिद्धान्त विशारद की परीक्षा दी। चार अठाई, 15 उपवास, पुष्य नक्षत्र तप आदि तपाराधना की। आप सुमधुर गायिका हैं, अपने उपदेश से युवावर्ग में जागृति का संदेश प्रसारित करती हैं। अर्हम ध्यान शिविर के संयोजन में आप गहरी रूचि रखती हैं। 487
दिवाकर संप्रदाय की श्री कमलावती जी का अवशिष्ट श्रमणी - समुदाय 188
क्रम साध्वी नाम
पिता का नाम
दीक्षा संवत् दीक्षा तिथि स्थान
रतलाम
जावरा
1. श्री कलावतीजी
2. श्री सूरजकंवरजी
3. श्री कुसुमलताजी
जन्म संवत्
स्थान
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- बड़ी सादड़ी
- जावरा
करेड़ा
बोथलालजी गादिया
2025
689
2027
2028 बड़नगर
484-487. प्रत्यक्ष संपर्क के आधार पर
488. डॉ. अक्षयज्योतिजी, संपादिका - हमें तुम पर नाज है, पृ. 81, 'कमला उपवन की खिलती कलियां' लेख
विशेष- विवरण
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सरल, सेवाभाविनी, तपस्विनी सेवाभाविनी
जैन प्रभाकर, तपस्वी, वाक्पटु
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