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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास में प्रवर्तिनी श्री महताबकुंवरजी के पास दीक्षा अंगीकार की। आप भजनानन्दी थीं। आपकी दो शिष्याएँ हुईं- (1) श्री मेनकंवरजी - स्थान काटपाड़ी (दक्षिण), 15 वर्ष की उम्र में सं. 2001 माघ शुक्ला 5 को खाचरोद में दीक्षा। (2) श्री कौशल्याजी-आप मैनकुंवरजी की लघु भगिनी हैं। 14 वर्ष की आयु में सं. 2005 कार्तिक शुक्ला 4 शुक्रवार को दीक्षा हुई। आप दोनों व्याख्यात्री हैं तात्त्विक सैद्धान्तिक विषयों की अच्छी ज्ञाता हैं।328
6.5.8.22. श्री सूर्यकुंवरजी (सं. 1950- )
आप ताल-मेवाड़ के मेहता परिवार से थीं। सं. 1965 कार्तिक शुक्ला 12 को ताल में प्रवर्तिनी श्री मेहताबकुंवरजी के पास दीक्षा ग्रहण की।29
6.5.8.23. श्री मानकुंवरजी (सं. 1965- )
आप भी ताल ग्राम के श्री खूबचंदजी भरगट की सुपुत्री थीं, सं. 1965 मृगशिर कृष्णा 4 को श्री लौजांजी के साथ गङ्ग.धार में दीक्षित हुईं। आप दोनों प्रवर्तिनी श्री मेहताबकुंवरजी की शिष्या बनीं।30 6.5.8.24. श्री चाँदकुंवरजी (सं. 1965- 74 के मध्य)
__ आप शिवगढ़ निवासिनी थीं, टीबूजी की शिष्या बनीं। आप तपस्विनी साध्वी थीं, मासक्षमण, 15, कई अठाइयाँ की। रतलाम में संथारा पूर्वक देहत्याग किया। आपकी तीन शिष्याएँ हुईं। (1) श्रीसुन्दरकुंवरजी-सैलाना की थीं, सैलाना में दीक्षा हुई और रतलाम में देहान्त हुआ। इनकी शिष्या सुगनकुंवरजी (लुणारवाला) (2) सेवाभाविनी श्री भूराजी-रामपुरा निवासिनी शुजालपुर दीक्षा। 6.5.8.25. श्री सूरजकुंवरजी (सं. 1965-2023)
रतलाम निवासी श्री केसरीमलजी संचेती की धर्मपत्नी श्री चाँदबाई की कुक्षि से सं. 1953 में आपका जन्म हुआ था। बाल्यवय में ही सगाई के बंधन को छोड़कर आप 13 वर्ष की अविवाहित वय में अपनी माता के साथ श्री नन्दलालजी म. के मुखारविन्द से सं. 1965 में दीक्षा ग्रहण की। आप शास्त्र ज्ञाता, धर्म प्रभाविका महासती थीं, दूर-दूर तक विचरण कर धर्म का प्रचार किया। आपकी छह शिष्याएँ हुई। कुछ वर्ष आप खाचरोद में स्थिरवासिनी रहीं, वहीं सं. 2023 में समाधि पूर्वक देह त्याग किया।32
6.5.8.26. श्री दाखांजी (सं. 1965-2024)
निमाड़ के सिमरोढ़ ग्राम के श्री वख्तावरमलजी की धर्मपत्नी श्री हेमबाई की कुक्षि से सं. 1942 में आपका जन्म हुआ। सं. 1965 में श्री मेनकंवरजी की शिष्या श्री राजकुंवरजी के पास आपने संयम ग्रहण किया। आपके
328. वही, पृ. 228 329-330. वही, पृ. 228 331. वही, पृ. 233 332. वही, पृ. 217
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