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________________ स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ एवं कंठमाधुर्य के गुण से युक्त थीं। अपनी विचक्षण मेधा शक्ति से आपने अनेक आगम, स्तोक, सज्झाय, संस्कृत - प्राकृत आदि का ज्ञान प्राप्त किया था। आपकी प्रवचनशैली तलस्पर्शी, विचार सभर गंभीर आशय वाली, सरल व प्रसाद गुण युक्त थी। आपके प्रेरक प्रवचन से मुंबई में 51 दम्पती ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया। जैन कान्फ्रेंस के स्वर्ण जयंति ग्रंथ में भी आपके प्रवचनों की प्रशंसा उल्लिखित है, 235 आप जो भी बोलतीं वह नीडरता से युक्तिपूर्ण बोलतीं थीं, अतः आपको 'प्रवचनकार', 'शासनदीपक' आदि उपाधियों से विभूषित किया गया था। आपके प्रवचन वसुझरणा, वसु-सुवास भाग 1-2, वसुधारा भाग 1-2 व वसुवाणी भाग 1-2 में संग्रहित हैं। आपके जीवन के अनेक प्रेरक प्रसंग पुस्तक रूप में प्रकाशित हैं 1236 आपकी मुख्य 5 शिष्याएँ हैं- श्री दमयंतीबाई, दीक्षिताबाई, हीराबाई, सविताबाई एवं प्रफुल्लाबाई । सं. 2031 चैत्र कृष्णा 11 को लखतर में आपका स्वर्गवास हुआ। 6.4.11 श्री कुसुमबाई (सं. 2015 से वर्तमान ) आप अमदाबाद के श्रीमती मणिबहेन नगीनदासजी की सुपुत्री हैं, आपका जन्म संवत् 1991 में हुआ। पू. जशवंतीबाई के पास अमदाबाद में ही संवत् 2015 पोष कृ. 1 को आप दीक्षित हुई। आपने दीक्षा के पश्चात् 10 आगम 60 स्तोक, अनेक सज्झाय आदि कंठस्थ किये। आपने अनेक प्रकार की तपस्याएँ, वर्षीतप आदि किया है। 237 6.4.12 श्री प्रफुल्लाबाई (सं. 2017 से वर्तमान) आपका जन्म सं. 1996 ज्येष्ठ कृ. अमावस्या को खेड़ा जिले के बोरसद गांव के पास बोदाल ग्राम में हुआ । आपके पिता श्री आशाभाई पटेल ( लेउवा पाटीदार) थे। वीरमगाम में सं. 2017 माघ शु. 10को आप श्री जशवंतीबाई के चरणों में दीक्षित हुईं। आप विदुषी साध्वी रत्न हैं। 238 6.4.13 श्री नलिनीबाई (सं. 2039 से वर्तमान ) आपका जन्म अमदाबाद में सं. 2005 श्री मणिभाई के यहाँ हुआ। पू. जशवंतीबाई के पास माघ शु. 6 को संवत् 2039 में अमदाबाद शाहपुर में आपकी दीक्षा हुई। आप पढी-लिखी विदुषी साध्वी हैं, गृहस्थावस्था में ही एम. ए. की पढ़ाई की, आगमों का भी अच्छा अभ्यास किया है। 239 6.4.14 श्री उर्विशाबाई (सं. 2045 से वर्तमान) आपका जन्म विरमगाम में श्री बाबूभाई शाह के यहां सं. 2020 में हुआ। कॉलेज का एक वर्ष करके आपने संवत् 2045 माघ कृष्णा 5 को श्री जशवंतीबाई के पास विरमगाम में दीक्षा अंगीकार की। आप संयम व तप की साधना में संलग्न हैं | 240 235. जै. कां. स्वर्ण जयंति ग्रंथ, पृ. 57 236. श्री वसुमती आर्याजी नी जीवन झरमर, संपादक-अंबालाल सी. पटेल, अहमदाबाद, वि. सं. 2031 237. वात्सल्यता नी वीरड़ी, पृ. 6 238. वात्सल्यता नी वीरड़ी, पृ. 7 239. वात्सल्यता नी वीरड़ी, पृ. 9-11 240. वात्सल्यता नी वीरड़ी, पृ. 11 Jain Education International 613 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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