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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
दशवैकालिक, नंदीसूत्र, विपाकसूत्र आचारांग, सूयगडांग, अनुत्तरोपपातिक आदि आगम कंठस्थ किये हैं तथा पाथर्डी बोर्ड से जैन सिद्धान्ताचार्य की परीक्षाएँ दी हैं। आप अत्यंत विदुषी, विनम्र एवं शासन प्रभाविका साध्वी हैं तपोनुष्ठान में भी अग्रणी हैं, अठाई, वर्षीतप आदि विविध तपस्याएँ की हैं। 218
6.3.3.3 श्री इन्दिराबाई 'खंम्भात' (सं. 2014 ) आपने भावसार जैन कुल में सं. 1992 में जन्म ग्रहण किया। 22 वर्ष की वय में मृगशिर शु. 6 सं. 2014 सूरत में ही श्री शारदाबाई महासती के पास दीक्षा ग्रहण की। आपने संयमी जीवन में 9 आगम एवं सैंकड़ों स्तोक कंठस्थ किये। मासखमण आदि अनेक तपस्याएँ भी की हैं। वर्तमान में खंभात संप्रदाय के आचार्य अरविन्दमुनि जी महाराज की आज्ञा में विचरण करती हुई आप जिनशासन की प्रभावना के अनेक कार्य कर रही हैं | 219
6.3.3.4 श्री कमलाबाई महासतीजी (सं. 2014 )
आपका जन्म 'स्तम्भन तीर्थ' में पटेल जैन परिवार में हुआ। संवत् 2014 को 24 वर्ष की वय में वैशाख शुक्ला 6 के शुभ दिन खम्भात में ही श्री शारदाबाई महासती के पास दीक्षा अंगीकार की। दीक्षा के पश्चात् आगम, न्याय, दर्शन, संस्कृत - प्राकृत आदि विविध विषयों का गहन अध्ययन कर पाथर्डी से जैन सिद्धान्ताचार्य' तक की सर्वोच्च परीक्षाएँ दी। आप तपस्विनी भी हैं, एकान्तर उपवास, बेले- बेले का वर्षीतप अठाई आदि की तपस्याएँ सतत चालू हैं, वर्तमान वर्धमान आयंबिल तप की आराधना कर रही हैं 1220
6.3.3.5 श्री चंदनाबाई महासतीजी (सं. 2017 )
आपका जन्म सं. 1988 में 'लखतर' के शाह परिवार में हुआ सं. 2017 मृगशिर शुक्ला 6 को लखतर में ही श्री शारदाबाई महासतीजी के पास आप दीक्षित हुईं। आप आगम व स्तोक आदि की ज्ञाता होने के साथ-साथ घोर तपस्विनी हैं। आपने उपवास एवं बेले से वर्षीतप की आराधना की, मासक्षमण, 16, 8 आदि अनेक तपोनुष्ठान किये। वर्तमान में अग्रणी के रूप में शासन की प्रभावना कर रही हैं। 221
खम्भात ऋषि सम्प्रदाय की अवशिष्ट श्रमणियां 222
क्रम साध्वी नाम
जन्म स्थान दीक्षा संवत्
खंभात
सुरत
विरमगाम
श्री सुभद्राबाई
2.
श्री इन्दुबाई
3. श्री वसुबाई
4.
श्री कांताबाई
लखतर
5. श्री सद्गुणाबाई 6. श्री इन्दिराबाई सुरत
1.
2008
2011
2013
2013
2013
2014
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तिथि
चै.शु. 10 शुक्र.
आसा. शु. 5 गुरू
मृ. शु. 5 शुक्र.
मृ. शु. 10 गुरु
मा. शु. 6 बुध
मृ.शु. 6 बुध
218-221. शारदा स्मृति ग्रन्थ, पृ. 30-31
222. शारदा - सुधा, में 'श्री शारदाबाई का शिष्या परिवार' माटुंगा, मुंबई सन् 1998
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दीक्षा स्थान
खंभात
नार
विरमगाम
लखतर
सुरत
गुरुणी नाम
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श्री शारदाबाई
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