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तपागच्छीय अवशिष्ट श्रमणियाँ (क) आचार्य आनन्दसागरसूरीश्वरजी महाराज का समुदाय63
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। क्रम | साध्वी नाम | जन्म संवत् स्थान पिता का नाम | दीक्षा संवत् तिथि दीक्षा स्थान | गुरूणी विशेष विवरण 1 D|श्री हेमश्रीजी | 1936 सूरत कल्याणचंद | कल्याणचंद | 1962 वै. शु. 6 |
श्री तिलकश्री शांत, प्रतिभाशाली.दीर्घदष्टा.सेवा
भाविनी, तीर्थश्री, जवेरी प्रधानश्री, दर्शनश्री, हंसाश्री, निर्मलश्री, राजुलश्रीजी आदि शिष्या, संवत् 2008 अमदाबाद में स्वर्ग. राजुलश्रीजी की 7 शिष्याएँ-कंचनश्री, सुशीला| श्री, अनुपमाश्री, कलागुणाश्री, अरूजाश्री, अमीवर्षाश्री, भद्रशीलाश्रीजी। प्रधानश्रीजी की चन्द्रश्रीजी, सुशीलाश्रीजी की शीलभद्राश्रीजी।
इस प्रकार विशाल शिष्या परिवार। 2. श्री सद्गुणाश्रीजी - रणुंज- अंबालालभाई | 1991 मृ.शु. 3 | रतलाम श्री सरस्वतीश्री | पालीताणां में जंबद्वीप के प्रेरक श्री (पाटण)
अभयसागरजी की जननी, समग्र परिवार को संयम से जोड़ने वाली, सुदीर्घ दीक्षा पर्यायी, संवत् 2048 में स्वर्गस्थ सुलसाश्री (पुत्री) तारकश्री व संयमगुणाश्री ये तीन
शिष्याएँ। 13. श्री संवेगश्रीजी | -अमदाबाद | फूलचंदभाई |1999 वै.शु. 5 | कदंबगिरि | श्री मृगेन्द्रश्री वर्धमान तप की 100 ओली की।
(तीर्थ)
आगम ग्रंथों की उच्चकोटि की अभ्यासी, शिष्याएँ-विवुधश्री, प्रशम श्री-निर्वेदश्री-प्रशांतश्री, यशस्विनीश्री संवत् 2019 में समाधिमरण।
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
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663. जिनशासन नां श्रमणीरत्नों, पृ. 162-236