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________________ श्वेताम्बर-परम्परा की श्रमणियाँ 2045 2045 ऊनडोठ लायजा लायजा चांगडाई रतडिया 2046 2047 2047 61. श्री तारकगुणाश्रीजी 62. श्री दर्शनगुणाश्रीजी 63. श्री विनयगुणाश्रीजी 64. श्री अर्हदगुणाश्रीजी 65. श्री हर्षदगुणाश्रीजी 66. श्री समयगुणाश्रीजी 67. श्री भक्तिगुणाश्रीजी 68. श्री मैत्रीगुणाश्रीजी 69. श्री जिनेन्द्रगुणाश्रीजी 70. श्री श्रुतगुणाश्रीजी माटुंगा वर्ती चीचबंदर मालिया मालिया पालीताणा भुजपुर भुज देशलपुर देशलपुर श्रीसुशीलगुणाश्रीजी श्री भद्रगुणाश्रीजी श्री नीतिगुणाश्रीजी श्री वीरगुणाश्रीजी श्री वीरगुणाश्रीजी श्री हिरण्यगुणाश्रीजी श्री देवगुणाश्रीजी श्री महापद्मगुणाश्रीजी श्री विपुलगुणाश्रीजी श्री हिरण्यगुणाश्रीजी नाना आसंबिया भुजपुर 2047 2048 2048 भुज देशलपुर 2048 बारोई 2048 5.4.28 श्री हेमलताश्रीजी (संवत् 1999-2044) जन्म संवत् 1972 कच्छ मोटा आसंबिया, पिता मोणशीभाई, माता रतनबाई, कच्छ पुनडी के प्रेमजीभाई के साथ विवाह, अल्पसमय में वैधव्य के पश्चात् विरक्ति। संवत् 1999 चैत्र कृष्णा 13 को दीक्षा। श्री आणंदश्री जी की शिष्या श्री प्रभाश्रीजी के सान्निध्य में संयम, तप, जप की आराधना की, अपनी शिष्याओं के साथ विचरण कर संघों में खूब धर्म जागृति की। संवत् 2044 मृगशिर कृष्णा 11 को पालीताणा में स्वर्गवास हुआ।520 5.4.29 श्री रतनश्रीजी (संवत् 1999-2050) जन्म संवत् 1968 कच्छ-राणपुर, पिता देवणांधभाई माता कुंवरबाई, जेवंतभाई नागड़ा के साथ विवाह, 1 वर्ष में वैधव्य के पश्चात् संवत् 1999 माघ शुक्ला 5 सुथरी तीर्थ में दीक्षा हुई। गुरूणी श्री हरखश्रीजी थीं। तप साधना-14 वर्ष एकासणा, 500 आयंबिल, नवपद, ज्ञानपंचमी, मौन एकादशी, नवकार तप, 2 चौबीसी तप, प्रतिदिन 108 प्रदक्षिणा, 99 यात्रा दो बार। व्याख्यान शैली मधुर। शिष्याएँ - श्री चंद्रोदयाश्री जी, जिनगुणाश्रीजी आदि। संवत् 2050 कार्तिक शुक्ला 12 को पालीताणा में स्वर्गवास।21 5.4.30 श्री खीरभद्राश्रीजी (संवत् 2006-48) जन्म संवत् 1961 मोटा आसंबिया, पिता जेठाभाई माता वेजबाई था। नाना आसंबिया के नेणशीभाई के साथ विवाह, छः महीने में वैधव्य के पश्चात् संवत् 2006 वैशाख कृष्णा 3 साध्वी देवश्रीजी की शिष्या रूप में दीक्षा अंगीकार की। बड़ी सेवाभाविनी, 22 वर्ष तक वृद्ध साध्वियों की सेवा में एक स्थान पर रहीं, पश्चात् 67 वर्ष की वय से 84 वर्ष की उम्र तक ग्रामानुगाम विहार कर धर्म का प्रचार किया। वर्षीतप, अट्ठाई आदि कई तपस्याएँ की। संवत् 2048 में स्वर्गवास।522 520. वही, पृ. 787 521. वही, पृ. 785-87 522. वही, पृ. 789-91 465 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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