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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास श्रीमद् राजेन्द्रसूरिः जीवन सौरभ, अभिधान राजेन्द्र कोष में जैन दर्शन वाटिका, अभिधान राजेन्द्र कोष में कथा कुसुम, जिन खोजा तिन पाइया, जीवन की मुस्कान, सुगंधित-सुमन। 5.3.21.11 आचार्य श्री विजयराजेन्द्रसूरिजी का अवशिष्ट श्रमणी-समुदाय89 क्रम साध्वी नाम जन्म संवत् स्थान दीक्षा संवत् तिथि दीक्षा स्थान गुरूणी नाम 1. श्री कुसुमश्रीजी - बागरा 2003 वै. शु. 3 बागरा श्री हेतश्रीजी 2. श्री कुमुदश्रीजी 1981 बागरा 2003 वै. शु. 3 बागरा
श्री हेतश्रीजी 3. श्री महाप्रभाश्रीजी 1970 राजगढ़ 2008 -
राजगढ़
श्री हेतश्रीजी 4. श्री भुवनप्रभाश्रीजी 1991 करवुण 2011 वै. शु. थराद
श्री हीरश्रीजी 5. श्री स्वयंप्रभाश्रीजी
अलिराजपुर 2012 आषा. शु. 11 मोहनखेड़ा श्री हेतश्रीजी 6. श्री दमयंतीश्रीजी 1987 दासपा 2015 ज्ये. शु. 10 सायला श्री लावण्यश्रीजी 7. श्री प्रेमलताश्रीजी - थराद 2017 आषा. शु. 6 थराद
श्री हेतश्रीजी 8. श्री पूर्णकिरणश्रीजी - थराद 2017 आषा. शु. 6 थराद 9. श्री कनकप्रभाश्रीजी 1994 थराद 2022 मा. शु. 13 थराद 10. श्री कल्पलताश्रीजी - थराद 2022 मा. शु. 13 थराद
श्री स्वयंप्रभाश्रीजी 11. श्री महिमाश्रीजी 1989 कैलाशनगर 2024 वै. शु. 11 सियाणा श्री हेतश्रीजी 12. श्री कोमललताश्रीजी - साधु
2023 ज्ये. शु. 2
श्री लावण्यश्रीजी 13. श्री सुनंदाश्रीजी 2002 कठोर 2022 ज्ये. कृ. 6 भीनमाल श्री हेतश्रीजी 14. श्री हर्षपूर्णाश्रीजी 1984 आकोली 2025 ज्ये. शु. 6 आकोली श्री लावण्यश्रीजी 15. श्री सूर्यकिरणाश्रीजी - मेंगलवा 2026 मृ.शु. 6 आकोली श्री लावण्यश्रीजी श्री सूर्योदयाश्रीजी
बीजापुर 2026 मृ.शु. 6 आकोली श्री लावण्यश्रीजी 17. श्री स्नेहलताश्रीजी 2013 आकोली 2026 मृ.शु. 6 आकोली श्री लावण्यश्रीजी 18. श्री कैलाशश्रीजी 2011 बीजापुर । 2027 ता. शु 11 जालोर
श्री दमयन्तीश्रीजी 19. श्री अनन्तगुणाश्रीजी 2017 रतलाम 2027 मा. शु. 7
कुक्षी
श्री प्रभाश्रीजी 20. श्री चन्द्रयशाश्रीजी 1995 सान्डेराव 2027 मा. शु. 11 कोसेलाव श्री हीरश्रीजी 21. श्री शशिकलाश्रीजी 1999 थराद 2030 फा. शु. 10 थराद
श्री मुक्तिश्रीजी 22. श्री शशिप्रभाश्रीजी 2005 थराद 2030 फा. शु. 10 थराद
श्री हेतश्रीजी 23. श्री आत्मदर्शनाश्रीजी 2018 राजगढ़ 2035 वै. शु. 3 मोहनखेड़ा श्री महाप्रभाश्रीजी 24. श्री हितप्रज्ञाश्रीजी 1998 धानेरा 2035 वै. शु. 7 धानेरा श्री स्वयंप्रभाश्रीजी
साथु
489. 'श्रमणीरत्नो', पृ. 770-72
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