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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
5.3.14.4 श्री ज्ञानश्रीजी (संवत् 1985-स्वर्गस्थ)
जन्म संवत् 1964 पालनपुर, माता धापुबाई पिता जवेरी हीरालालजी, दीक्षा संवत् 1985 कार्तिक कृष्णा 10 पालनपुर में, गुरूणी श्री सौभाग्यश्रीजी। ज्ञान-प्रकरण, भाष्य, कर्मग्रंथ, वृहद्संग्रहणी, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, नंदीसूत्र, प्रशमरति, ज्ञानसार, योगदृष्टिसमुच्चय आदि अनेक ग्रंथ कंठस्थ किये। शिष्या-प्रशिष्याएँ - श्री सूर्ययशाश्रीजी, विनयश्रीजी, कल्पलताश्रीजी, मनोरंजनाश्रीजी, निरंजनाश्रीजी, प्रियदर्शनाश्रीजी, गुणधर्माश्रीजी, हेमरत्नाश्रीजी, पियुषवर्षाश्रीजी, उज्जवलगुणाश्रीजी, वीराज्ञाश्रीजी, प्रशमरसाश्रीजी, बोधिरत्नाश्रीजी, दिव्यदर्शिताश्रीजी आदि।447 5.3.14.5 श्री हस्तीश्रीजी (संवत् 1991-स्वर्गस्थ)
पेथापुर के निकट ऊनावा गाँव, पिता लल्लुभाई माता वीजलीबहन की कुक्षि से संवत् 1966 में जन्म, वैध व्य के पश्चात् संवत् 1991 में दीक्षा, गुरूणी श्री चरणश्रीजी। आभ्यंतर तपस्विनी, 22 शिष्या-प्रशिष्याएँ- श्री रत्नप्रभाश्रीजी, राजेन्द्रश्रीजी, निरंजनाश्रीजी, कल्पगुणाश्रीजी, हर्षगुणाश्रीजी, मोक्षानंदश्रीजी, दिव्यप्रज्ञाश्रीजी, भावपूर्णाश्रीजी, नीलपद्याश्रीजी, विनयरत्नाश्रीजी, जयरत्नाश्रीजी, वैराग्यरसाश्रीजी, दिव्यरत्नाश्रीजी, कीर्तिरत्नाश्रीजी, मोक्षरत्नाश्रीजी, काव्यरत्नाश्रीजी, मौलीरत्नाश्रीजी, चैत्यरत्नाश्रीजी, धैर्यरत्नाश्रीजी, कल्याणरत्नाश्रीजी।48
5.3.14.6 श्री मंजुलाश्रीजी (संवत् 1995-2041)
जन्म संवत् 1974 गलथ (गिरनार तलहटी) पिता जगजीवनजी, माता समरतबहन, वैधव्य के पश्चात् दीक्षा संवत् 1995 वैशाख शुक्ला 3 पालीताणा, गुरूणी श्री रंजनश्रीजी। सौराष्ट्र, गुजरात में विचरण कर कई कन्याओं को दीक्षित किया, इनमें सूर्ययशाश्रीजी, मधुकांताश्रीजी, मधुलताश्रीजी, गुणसेनाश्रीजी आदि प्रमुख है। इनकी प्रेरणा, मार्गदर्शन से अनेक स्थानों पर विविध तपस्याएँ, चिरस्मरणीय धर्मकार्य संपन्न हुए। स्वयं उपवास, छट्ठ और अट्ठम से वर्षीतप, 11 अठाई, 16, 21 उपवास, मासक्षमण, सिद्धितप ओली आदि तप तीर्थयात्रा और एक करोड़ तक महामंत्र जाप की अपूर्व साधना अराधना कर संवत् 2041 मुंबई सायन में स्वर्गवासिनी हुई।49 5.3.14.7 श्री विनयश्रीजी (संवत् 2006- )
जन्म संवत् 1976 पालनपुर, पिता मलुकचंदभाई, माता प्रसन्नबहन, पालनपुर में लगभग 200 बहनों को नि:स्वार्थ भाव से ज्ञानदान एवं धर्म-संस्कार देने का कार्य किया। दीक्षा संवत् 2006 कार्तिक कृष्णा 7 गुरूणी श्री ज्ञानश्रीजी। संयमजीवन में स्वयं ज्ञानोपासना में लीन रहने के साथ 175 बहनों को अध्यापन करवाया। मासक्षमण, सिद्धितप, वर्षीतप, वर्धमान तप की 91 ओली आदि तप किया, व्यक्तित्व अध्यात्मोन्मुखी है।450 5.3.14.8 श्री त्रिलोचनाश्रीजी (संवत् 2007-39)
जन्म स्थान जामनगर, पिता मगनभाई माता जीवीबहन, बाल्यवय में उपधान, दीक्षा 2007 मृगशिर कृष्णा 10 447. वही, पृ. 715-17 448. वही, पृ. 717-18 449. वही, पृ. 719-21 450. वही, पृ. 724
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