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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
238. श्री देवश्रीजी 239. श्री दिव्याश्रीजी 240. श्री दक्षगुणाश्रीजी 241. श्री उर्मिलयशाश्रीजी 242. श्री स्नेहलयशाश्रीजी 243. श्री नीलदर्शिताश्रीजी 244. श्री नीलरत्नाश्रीजी 245. श्री शीलधर्माश्रीजी 246. श्री मुक्तिमालाश्रीजी 247. नम्रदर्शिताश्रीजी 248. श्री हीराश्रीजी 249. श्री पुष्पाश्रीजी 250. श्री प्रभंजनाश्रीजी 251. श्री कनकप्रभाश्रीजी
साणोदर गारियाधार डभोई जूनागढ़ कोतुल जेसर सुरेन्द्रनगर वडज पालीताणा
2014 2014 2021 2027 2029 2034 2036 2041 2045 2045
ज्ये. शु. 10 ज्ये. शु. 10 वै. शु. 2 म. शु. 6 मा. शु. 13 पो. कृ. 5 मा. कृ. 7 फा. शु. 4 मा. कृ. 11 वै. कृ.5
श्री नंदनश्रीजी -
श्री कुसुमश्रीजी श्री देवश्रीजी
श्री दिव्याश्रीजी जोरावरनगर श्री दिव्याश्रीजी जेसर
श्री दिव्याश्रीजी सुरेन्द्रनगर श्री दिव्याश्रीजी बोरीवली (म.) श्री दिव्याश्रीजी भयंदर (मु.) श्री स्नेहलयशाश्रीजी दहीसर
श्री नीलदर्शिताश्रीजी
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श्री पुष्पाश्रीजी
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5.3.11 पंन्यास श्री धर्मविजयजी (डहेलावाला) के समुदाय की श्रमणियाँ
श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ के विभिन्न समुदायों मे 'डहेलावाला' का समुदाय एक प्राचीन व सुप्रसिद्ध समुदाय है, उस समुदाय को 'पंन्यास श्री धर्मविजयजी महाराज के समय विशेष प्रसिद्धि प्राप्त हुई, वर्तमान में इस समुदाय के गच्छाधिपति आचार्य विजयअभयदेवसूरिजी महाराज हैं, उनकी आज्ञा में 257 साध्वियों का समुदाय भारत के विविध अंचलों में परिभ्रमण करता हुआ अपने ज्ञान, संयम व तप-त्याग की सौरभ को विश्व में प्रसारित कर रहा है, इस समुदाय की उपलब्ध श्रमणियों का परिचय इस प्रकार है।
5.3.11.1 श्री तरूणप्रभाश्रीजी (संवत् 1966-स्वर्गस्थ)
जन्म संवत् 1949 अमदाबाद, दीक्षा संवत् 1966 अमदाबाद। तप-नौ वर्ष की उम्र में उपधान तप, अठाई, 16 उपवास, दीक्षा के बाद नवपद ओली बीस स्थानक, वर्धमान ओली 87, वर्षीतप, सिद्धितप, चत्तारि अट्ठ दस दोय, 500 आयंबिल, मासक्षमण आदि। यात्रा-गिरनार की एक, शत्रुजय की दो बार 99 यात्रा चौविहारी छ8 से सात यात्रा, कई जैन तीर्थों की यात्रा की है।386
5.3.11.2 श्री रंजनश्रीजी (संवत् 1976-2040)
___ जन्म संवत् 1959 डागरवा गुजरात, पिता वाडीलाल माता चंचलबहन, दीक्षा संवत् 1976 वैशाख शुक्ला 6 अमदाबाद, गुरूणी मनहरश्रीजी, तप-सिद्धितप, स्वर्गवास संवत् 2040 अमदाबाद।387
386. 'श्रमणीरत्नो', पृ. 642 387. वही, पृ. 644
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