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श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ
कैलासनगर
2021 2024 2024
2021
2044 2044 2044 2045 2045 2045 2045
2023
वापी
2014 2014
2025 2030 1983 शिवगंज
सुरत
ज्ये. शु. 10 ज्ये. शु. 2 ज्ये. शु.2 का. कृ. 4 पो. कृ. 5 पो. कृ. 5 पो. कृ. 10 पो. कृ. 10 पो. कृ. 10 मा. शु. 5 मा. शु. 10 वै. शु. 2 वै. शु. 2 आषा. शु. 6 मा. कृ.5 फा. शु. 11 चै. कृ. 6
2021
154. मोक्षदर्शिताश्रीजी 155. विरागरसाश्रीजी 156. अक्षयरसाश्रीजी 157. प्रशमरत्नाश्रीजी 158. उदयचंद्राश्रीजी 159. संवेगवर्धनाश्रीजी 160. आगमप्रज्ञाश्रीजी 161. विरागदर्शनाश्रीजी 162. संवेगदर्शनाश्रीजी 163. आत्मरसाश्रीजी 164. प्रशमपूर्णाश्रीजी 165. कल्याणदर्शनाश्रीजी 166. कैवल्यरत्नाश्रीजी . 167. वैराग्यनिधिश्रीजी 168. लक्षनिधिश्रीजी 169. प्रियश्रेयाश्रीजी 170. दिव्यरत्नाश्रीजी 171. कुलवर्धनाश्रीजी 172. स्मितवर्षिताश्रीजी 173. श्रुतवर्षिताश्रीजी 174. सौम्यवर्षिताश्रीजी 175. अध्यात्मरेखाश्रीजी 176. प्रशमनिधिश्रीजी 177. उपशमरेखाश्रीजी 178. संवेगरेखाश्रीजी 179. सौम्यनिधिश्रीजी
2028
2045 2045 2045 2045 2045 2046 2046 2046 2046
गोल
शासनदर्शिताश्रीजी बोधिरत्नाश्रीजी बोधिरत्नाश्रीजी
भव्यरत्नाश्रीजी जामनगर रविचंद्राश्रीजी
पुन्यदर्शनाश्रीजी
हितपूर्णाश्रीजी सुरत
ज्ञानरसाश्रीजी
विरागदर्शनाश्रीजी वरकाणातीर्थ कीर्तिप्रभाश्रीजी गधार
मुक्तिदर्शनाश्रीजी हस्तगिरि सम्यग्दर्शनाश्रीजी हस्तगिरि त्रिलोचनाश्रीजी पालीताणा निर्मोहाश्रीजी पालडी
जयरेखाश्रीजी डेंलीया (सौं.) सूर्यमालाश्रीजी राधनपुर हितरत्नाश्रीजी
रतिप्रभाश्रीजी सूर्यमालाश्रीजी स्मितप्रज्ञाश्रीजी
स्मितप्रज्ञाश्रीजी खीवाणदी नवाडीसा पालीताणा निर्मलरेखाश्रीजी पालीताणा निर्मलरेखाश्रीजी शिवगंज परमहर्षाश्रीजी
2025
पालडी
2022 2027
2024
2048
2048 2048 2048
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___ मुंबई
पालडी
रतलाम
2025
रतलाम शिवगंज
2049
चै. कृ. 9
5.3.3 आचार्य श्री विजय प्रेम-भुवनभानु सूरीश्वरजी का श्रमणी-समुदायः ।
आचार्य श्री विजयप्रेमसूरिजी महाराज का विशाल श्रमणी समुदाय उनके स्वर्गवास के पश्चात् सन् 1990 तक आचार्य प्रेम-रामचन्द्रसूरीश्वरजी के साथ सम्मिलित था, उसके पश्चात् विगत 14 वर्षों में इस समुदाय में 315 साधु-साध्वियों की अभिवृद्धि हुई। इस समुदाय के वर्तमान संघनायक आचार्य विजय जयघोषसूरीश्वरजी हैं, इनकी आज्ञा में कुल 384 साध्वियाँ विचरण कर रही हैं। इनमें 191 साध्वियाँ आचार्य विजयराजेन्द्रसूरिजी की तथा 181
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