________________
श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ
स्वर्गस्थ हुईं। आपके शिष्या प्रशिष्या परिवार में 55 विदुषी साध्वियाँ हैं। स्वयं की 5 शिष्याएँ हैं-प्रगुणाश्रीजी, नरेन्द्रश्रीजी272, शमदमाश्रीजी, कैवल्यश्रीजी, हितज्ञाश्रीजी। शमदमाश्रीजी की दो शिष्याएँ हैं-तत्त्वत्रयाश्रीजी, तत्त्वगुणाश्रीजी। कैवल्यश्रीजी की दो शिष्याएँ हैं- करूणाश्रीजी, भव्यानंदश्रीजी। करूणाश्रीजी की राजपूर्णाश्रीजी, जयपूर्णाश्रीजी, समकितपूर्णश्रीजी, ये तीन तथा भव्यानंदश्रीजी, की पूर्णप्रज्ञाश्रीजी, कल्पप्रज्ञाश्रीजी, राजप्रज्ञाश्रीजी, कैरवप्रज्ञाश्रीजी-भव्यप्रज्ञाश्रीजी, पूर्णितप्रज्ञाश्रीजी, शिष्याएँ हैं। हितज्ञाश्रीजी की हर्षज्ञाश्री, चित्प्रज्ञाश्री हैं, हर्षज्ञाश्री की रक्षिताश्रीजी शिष्या हैं।73 श्री मलयाश्रीजी के परिवार की तपोमूर्ति श्रमणियाँ74 -
प्रशमशीलाश्रीजी-अठाई प्रशमनाश्रीजी, प्रशमश्रेयाश्रीजी- अठाई, प्रशमानंदश्रीजी - नौ उपवास, प्रशमाननाश्रीजी, प्रशमदर्शिताश्रीजी - वर्षीतप, प्रशमरत्नाश्रीजी- श्रेणितप, वर्षीतप, मासक्षमण, प्रशमवर्षाश्रीजी -वर्षीतप, सिद्धितप, 8, 16, 30 उपवास, प्रशमरक्षिताश्रीजी - मासक्षमण, प्रशमदर्शाश्रीजी- मासक्षमण, श्रेणितप, 440 आयंबिल, प्रशमीशाश्रीजी - वर्षीतप, 8, 30 उपवास, प्रशमतीर्थाश्रीजी-वर्षीतप, 500 आयंबिल, प्रशमनंदिताश्रीजी - 500 आयंबिल, प्रशमज्ञेयाश्रीजी - वर्षीतप, 8, 9, 11 उपवास प्रशमजिनेशाश्रीजी - वर्षीतप, 8, 9, 10, 11, 16, 31 उपवास, प्रशमजिनाश्रीजी - 31 उपवास, प्रशमवदनाश्रीजी - सिद्धितप, श्रेणितप, भद्रतप, मासक्षमण, प्रायः सभी की वर्धमान ओली चल रही है। श्री सुताराश्रीजी - वर्षांतप, सुज्ञरसाश्रीजी - वर्षीतप, 500 आयंबिल, मासक्षमण, सुलक्षिताश्रीजी -500 आयंबिला, शुभवर्षाश्रीजी - 500 आयंबिल, वर्षीतप। रत्नप्रभाश्रीजी- वर्षीतप। 51 ओली। मोक्षानंदाश्रीजी-8, 16, उपवास, हर्षवर्धनाश्रीजी-8, 16 उपवास, सिद्धितप, चत्तारि अट्ठ दस दोय, चेलणाश्रीजी- वर्षीतप, सिद्धितप, हितप्रज्ञाश्रीजी- अठाई 8, 16, सिद्धितप, श्रेणितप, चत्तारि., आत्मज्ञाश्रीजी- 8, 9, 11 उपवास, वर्षीतप, वज्ररत्नाश्रीजी- वर्षीतप, मासखमण, नीतिप्रज्ञाश्रीजी- वर्षीतप, मासक्षमण, सिद्धितप, 8, 11, उपवास, राजपुण्याश्रीजी- आठ वर्षीतप, श्रेणितप अमितज्ञाश्रीजी - 8, 10 उपवास, क्षीरसमुद्र, वर्षीतप, बीसस्थानक, नवपद ओली 45, वर्धमान तप
की 69 ओली, 99 यात्रा दो बार, छट्ठ से सात यात्रा, सिद्धाचल, पंचमी, दशम,
ग्यारस, पूनम। ये मात्र 9 वर्ष की उम्र से नवपद ओली सतत कर रही हैं। निरंजनाश्रीजी - दो अठाई, 16, चत्तारि, घड़िया बेघडिया, नवपदओली, बीस स्थानक, पाँचम, दशम,
99 यात्रा दो बार, छट्ठ से सात यात्रा निरूपमाश्रीजी - 4, 8, 11, 16, 30 उपवास, उपधान, अक्षयनिधि, नवपदओली, पंचमी, दशमी,
सिद्धितप, वर्षीतप, दीपावली छ8, 99 यात्रा, चैत्रीपूनम शुभोदयाश्रीजी 8 उपवास, अक्षयनिधि, नवपद ओली, सिद्धाचल व तलाजा की 99 यात्रा, एकासणे
आदि। धर्मज्ञाश्रीजी - 5, 6, 8, 9, 11, 16, 30 उपवास, क्षीरसमुद्र, सिद्धितप, वर्षीतप, 500 आयंबिल
एकांतर, 54 ओली, नवपद ओली 30 वर्ष से, 99 यात्रा चौविहार छ8 से सात यात्रा, 271-272. इनका विशेष परिचय तालिका में देखें। 273. श्रमणीरत्नो, पृ. 183-85 274. वही, पृ. 260-66
339
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org