SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 400
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास हेमप्रभाश्रीजी कीर्तिलताश्रीजी नरेन्द्र श्रीजी कल्पबोधश्रीजी महापूर्णाश्रीजी शमितपूर्णश्रीजी भव्यदर्शिताजी दिव्यदर्शिताजी तत्त्वत्रयाश्रीजी - छ8 से सात यात्रा, 99 यात्रा 7 बार - अट्ठाई 3, 11, 15, 16, 17 उपवास, वर्षीतप, चत्तारि०, वर्धमान तप चालु, नवपद की 12 ओली, 99 यात्रा 3 बार, छ8 से 7 यात्रा। - 8, 16, 30 उपवास, पंचमी, ग्यारस, मोटा पखवासा, चत्तारि, 20 स्थानक, छ? से। वर्षीतप, 500 आयंबिल, सिद्धितप, डेढ़मासी, दो मासी, 100 ओली पूर्ण द्वितीय बार। 18 ओली, नवपद सहस्रकूट आदि। - 8, 9, 16, 30 उपवास पंचमी, ग्यारस, 20 स्थानक, सिद्धितप, नवपद ओली, श्रेणितप, भद्रतप, महाधन तप, निगोदनिवारण, समवसरण, सिंहासन, चत्तारि., दो-चार-छहमासी तप, 500 आयंबिल, वर्षीतप 2, सहस्रकूट, वर्धमान 100 ओली पूर्ण करके पुनः प्रारंभ, अन्य तप के एकासणे। 9,10,11,16,21.30 उपवास, दशम, 20 स्थानक, चत्तारि. नवपद ओली दीक्षा से चालु, 500 आयंबिल, 21 अठाई, 7 वर्षीतप (एक छ8 व एक अट्ठम से) सिद्धितप, नवपद ओली, पंचमी, वर्धमान ओली चालु - सिद्धितप 2, नवपद ओली, अठाई पंचमी, सिद्धितप, नवपद ओली ___ - 8, 10, उपवास, वर्षीतप, छ8 से 7 यात्रा, पंचरंगी, नवपद ओली, वर्धमान ओली चालु, पाँचम, दीपकव्रत 6, 8, 9, 11, 16, 30 उपवास, वर्षीतप, सिद्धितप, सहस्रकूट, नवपद ओली, छ? से 7 यात्रा, पाँचम, दशम, वर्धमान ओली 18 अठाई, वर्षीतप, 20 स्थानक, सिद्धितप, छ8 से 7 यात्रा, वर्धमान ओली चालु - 20 स्थानक, वर्षीतप, 500 आयंबिल, 16, 30 उपवास, वर्धमान ओली चालु - 20 स्थानक, वर्षीतप, अठाई, छ8 से 7 यात्रा, वर्धमान ओली चालु - 20 स्थानक, वर्धमान तप चालु तत्त्वगुणाश्रीजी हितज्ञाश्रीजी कैवल्यश्रीजी भव्यानंदश्रीजी पूर्णितप्रज्ञाश्रीजी 5.3.1.10 श्री मलयाश्रीजी (संवत् 1990-2048) सौराष्ट्र के लखतर ग्राम में संवत् 1966 में पोपटभाई एवं मणीबहन शेठ के घर जन्मी तथा अमदाबाद में भीखी भाई से अल्पवय में ही परिणय संबंध से जुड़ी मलयाश्रीजी वैधव्य के पश्चात् संवत् 1990 वैशाख शुक्ला 9 को रंजनश्रीजी के चरणों में दीक्षित हुई। अठाई, सोलह, मासखमण, क्षीरसमुद्र, वीशस्थानक, वर्षीतप, नवपद ओली, पंचमी, एकादशी, रत्नपावड़ी के बेले, सिद्धाचल के बेले, वर्धमान तप की ओलियाँ आदि तप, त्याग व अनेक तीर्थयात्रा रूप त्रिवेणी संगम से जीवन को सार्थक करती हुई खानपुर में संवत् 2048 को समाधि पूर्वक 338 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy