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श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ
5.1.67 श्री व्रतधर्मा, दृढ़धर्मा (संवत् 1367 )
भीमापल्ली में संवत् 1367 में इनकी दीक्षा हुई थी, उस समय श्री जिनचंद्रसूरिजी चतुर्विध संघ के साथ शंखेश्वर की तीर्थयात्रा करके भीमपल्ली में पधारे थे।"
5.1.68 श्री पद्मश्री, व्रतश्री (संवत् 1367 )
ये दोनों क्षुल्लिकाएँ थीं। श्री जिनचंद्रसूरिजी से संवत् 1367 फाल्गुन शुक्ला प्रतिपदा के दिन भीमपल्ली में ये दीक्षित हुई थीं। 2
5.1.69 श्री यशोनिधि, महानिधि ( संवत् 1370 )
संवत् 1370 माघ शुक्ला 11 के दिन श्री जिनचंद्रसूरि द्वारा इन्होंने प्रव्रज्या अंगीकार की । ३
5.1.70 श्री प्रियधर्मा, आशालक्ष्मी, धर्मलक्ष्मी (संवत् 1371)
संवत् 1371 फाल्गुन शुक्ला 11 को भीमपल्ली में आचार्य जिनचंद्रसूरिजी से दीक्षित हुईं थीं 184 5.1.71 श्री पुण्यलक्ष्मी, ज्ञानलक्ष्मी, कमललक्ष्मी, मतिलक्ष्मी (संवत् 1371 )
संवत् 1371 मिती ज्येष्ठ कृष्णा 10 को जाबालिपुर में श्री जिनचंद्रसूरि द्वारा ये सभी एक साथ दीक्षित होकर प्रव्रज्या के पावन पथ पर आरूढ़ हुई थीं।
5.1.72 श्री शीलसमृद्धि, दुर्लभसमृद्धि, भुवनसमृद्धि ( संवत् 1375 )
नागोर में संवत् 1375 माघ शुक्ला 12 को उक्त तीनों श्रमणियां श्री जिनचंद्रसूरिजी द्वारा दीक्षित हुई । "
5.1.73 साध्वी धर्मसुन्दरी, चारित्रसुन्दरी (संवत् 1381 )
संवत् 1381 को पाटण में इन दोनों ने आचार्य श्री जिनकुशलसूरिजी से दीक्षा अंगीकार की ।187
5.1.74 साध्वी कमलश्री, ललित श्री (संवत् 1382 )
आचार्य श्री जिनकुशलसूरि द्वारा भीमपल्ली में संवत् 1382 वैशाख शुक्ला 5 के शुभ दिन इनकी दीक्षा हुई । "
81. ख. बृ. गु., पृ. 63
82. ख. बृ. गु., पृ. 63
83. ख. बृ. गु., पृ. 64
84. ख. बृ. गु., पृ. 64
85. ख. बृ. गु., पृ. 64
86. ख. बृ. गु., पृ. 64
87. ख. बृ. गु., पृ. 77
88. ख. बृ. गु., पृ. 80
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