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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 4. आचार्य श्री देवनन्दीजी से दीक्षितः- श्री कांतिश्रीजी, श्री सुमंगल श्रीजी, श्री स्वस्तिश्रीजी, श्री सम्यक श्रीजी, श्री कीर्तिश्रीजी, श्री पद्मश्रीजी। 5. आचार्य श्री कुंथुसागरजी से दीक्षित :- श्री पावनश्रीजी, श्री धन्यश्री, श्री अपूर्वश्रीजी, श्री अरूपश्रीजी, श्री संयमश्रीजी, श्री करूणाश्रीजी, श्री पवित्रश्रीजी, श्री कुलभूषणमतीजी, श्री कुन्दश्रीजी, श्री पद्मश्रीजी, श्री वीरमतीजी। 6. आचार्य श्री कनकनंदीजी से दीक्षित :- श्री क्षमाश्रीजी, श्री आस्थाश्रीजी, श्री ऋद्धिश्रीजी। 7. आचार्य श्री कुशाग्रनंदीजी से दीक्षित :- श्री कुशलवाणीजी, श्री जिनवाणीजी, श्री गुरूवाणीजी, श्री __ वीरवाणीजी, श्री त्यागवाणीजी, श्री निर्मलवाणीजी, श्री ऋतुवाणीजी, श्री विद्यावाणीजी, श्री कविवाणी जी, श्री कृपावाणीजी। 8. आचार्य श्री पद्मनंदीजी से दीक्षित :- श्री विजयश्रीजी, श्री दयाश्रीजी, श्री धैर्यश्रीजी, श्री प्रशान्तश्रीजी, गणिनी श्री कमलश्रीजी, दिव्यश्रीजी, श्री चिंतनश्रीजी, श्री कनकश्रीजी, श्री कलाश्रीजी, श्री मुक्तिश्रीजी। 9. आचार्य श्री सन्मतिसागरजी से दीक्षित :- श्री लक्ष्मीभूषण माताजी, श्री दर्शनमती जी, श्री शरणमतीजी, श्री शीतलमतीजी, श्री सुयोगमतीजी, श्री चन्द्रमतीजी (प्रथम), श्री चन्द्रमतीजी (द्वितीय), श्री लक्ष्मीभूषणजी, श्री दृष्टिभूषणजी, श्री मुक्तिभूषणजी, श्री अनुभूतिभूषणजी, श्री मुनिसुव्रतमतीजी, श्री सरस्वतीभूषणजी, श्री शांतिभूषणजी, श्री सृष्टिभूषणजी, श्री स्वस्तिभूषणजी, श्री सुबुद्धिमतीजी। 10. आचार्य श्री सिद्धान्तसागरजी से दीक्षित :- श्री समतामती जी, श्री संगममती जी, श्री सौभाग्यमती, श्री कलाश्रीजी, श्री मुक्तिश्रीजी, श्री अक्षयमती जी, श्री श्रद्धामतीजी। 11. आचार्य श्री सुबलसागरजी से दीक्षित :- श्री सौरभमतीजी, श्री सुव्रतमतीजी, श्री सरस्वतीजी, श्री सन्मतिजी, श्री विशालमतीजी, श्री लक्ष्मीमतीजी, श्री सुवर्णमतीजी, श्री अजितमतीजी, श्री सुमतिमतीजी। 12. आचार्य श्री वर्धमानसागरजी से दीक्षित :- श्री शुभमती जी, श्री दयामती जी, श्री विपुलमतीजी, श्री सुवैभवमतीजी, श्री निःसंगमतीजी, श्री अनन्तमतीजी, श्री सौम्यमतीजी, श्री सौरभमतीजी, श्री चैत्यमतीजी, श्री वैराग्यमतीजी, श्री प्रेरणामतीजी, श्री वंदितमतीजी, श्री वत्सलमतीजी, श्री विलोकमतीजी, श्री मूर्तिमतीजी। 13. आचार्य श्री विरागमसागरजी से दीक्षित :- श्री विशिष्टश्रीजी, श्री विदुषीश्रीजी, श्री विभूतिश्रीजी, श्री विजयश्रीजी, श्री विरक्तीश्रीजी, श्री विनीतश्रीजी, श्री शांतिमतीजी, श्री विधिश्रीजी, श्री विंध्यश्रीजी, श्री विज्ञाश्रीजी, श्री विकासश्रीजी, श्री विशाश्रीजी, श्री विभाश्रीजी, श्री विमत्सनाश्रीजी, श्री विनीतश्रीजी। 14. आचार्य श्री विवेकसागरजी से दीक्षित :- श्री विपुलमतीजी, श्री विश्रुतमती जी, श्री विज्ञानमती जी। 15. आचार्य श्री योगीन्द्रसागरजी से दीक्षित :- श्री सरलमतीजी, श्री सूर्यमतीजी, श्री समवशरणमतीजी। 16. आचार्य श्री विद्यासागरजी से दीक्षित :- श्री आदर्शमतीजी, श्री दुर्लभमतीजी, श्री अंतरमतीजी, श्री अनुनयमतीजी, श्री अनुग्रहमतीजी, श्री अक्षयतीजी, श्री अमूर्तमतीजी, श्री अखंडमतीजी, श्री अनुपममतीजी, श्री अनर्घमतीजी, श्री अतिशयमतीजी, श्री अनुभवमतीजी, श्री आनंदमतीजी, श्री अधिगममतीजी, श्री अमंदमतीजी. श्री अभेदमतीजी. श्री उद्योतमतीजी. श्री अकम्पमतीजी. श्री अमल्यमतीजी. श्री आराध्यमतीजी, श्री अचिन्त्यमतीजी, श्री अलोल्यमतीजी, श्री अनमोलमतीजी, श्री आज्ञामतीजी, श्री अचलमतीजी, श्री अवगममतीजी, श्री आलोकमतीजी, श्री अनंतमतीजी, श्री विमलमतीजी, श्री निर्मलमतीजी, श्री शुक्लमतीजी, 254 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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