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दिगम्बर परम्परा की श्रमणियाँ
होकर संवर्द्धित और संरक्षित होती रही, खुरई में समस्त सांसारिक बंधनों को तोड़कर वि. संवत् 2020 में आपने आचार्य श्री धर्मसागर जी म. से क्षुल्लिका दीक्षा अंगीकार की तथा संवत् 2023 में आचार्य देशभूषण जी म. से दिल्ली में आर्यिका दीक्षा लेकर भातृपथ का अनुकरण किया।
आपको णमोक्कारादि मंत्र विज्ञान का विशिष्ट ज्ञान है, दूर्ग, दिल्ली, जयपुर, उदयपुर, आदि जहां भी आपके चातुर्मास हुए, धर्म की अपूर्व लहर पैदा कर दी। आपका उपदेश मंत्रमुग्ध कर देने वाला व हृदय की ग्रंथियों को खोलने वाला प्रभावकारी होता है। आप त्यागी श्रमणी है, दही, तेल और रस आदि का सेवन नहीं करतीं।183
4.9.32 आर्यिका श्री सुप्रभामती जी (संवत् 2024)
आप कुरड़वाडी (महाराष्ट्र) निवासी श्री नेमीचंद जी की सुपुत्री हैं, 12 वर्ष की वय में ही आपका विवाह हुआ और कुछ ही दिनों में विधवा हो गई। शीघ्र ही आपने अपने चित्त को धर्म में लगाया एवं न्याय, प्रथमा, इन्टर की परीक्षाएं दी, तत्पश्चात् सोलापुर के श्राविकाश्रम में 15 वर्ष तक अध्यापन कार्य किया, संवत् 2024 कार्तिक शुक्ला 12 को कुम्भोज बाहुबली में श्री समन्तभद्र जी महाराज से आर्यिका दीक्षा ग्रहण की। आप अध्यापन कार्य में अत्यन्त दक्ष हैं, अनेक कन्याओं एवं महिलाओं को योग्य प्रशिक्षण देकर उन्हें सन्मार्ग में लगाया है।184 4.9.33 गणिनी श्री विशुद्धमती माताजी (संवत् 2025 से वर्तमान)
संवत् 2005 में लश्कर नगरी निवासी श्री गुलजारीलाल जी (वर्तमान में क्षु. श्री आदिसागर जी म.) एवं माता श्रीमती देवी (आर्यिका रूप से दीक्षित) के यहां जन्म लेकर आपने 8 वर्ष की उम्र में आजीवन कन्दमूल व 14 वर्ष की उम्र में आजीवन ब्रह्मचर्यव्रत अंगीकार कर लिया था। 16 वर्ष की उम्र में स्वयं केशलोच कर संवत् 2025 में सम्मेदाचल पर्वत पर आचार्य निर्मलसागर जी से आपने आर्यिका दीक्षा ग्रहण करली। तीन वर्ष के अंदर ही संवत् 2029 में आपको आचार्य विमलसागर जी म. ने 'गणिनी' पद पर प्रतिष्ठित कर दिया। 21वीं सदी की आप प्रथम बालब्रह्मचारिणी गणिनी एवं सर्वाधिक दीक्षा प्रदात्री के रूप में विश्रुत हैं। आपने पंचकल्याणक, वेदी, मंदिर आदि की अनेक स्थानों पर प्रतिष्ठा करवाई। कइयों को आर्यिका, क्षुल्लिका ब्रह्मचर्य आदि व्रत देकर उनके जीवन को सफल बनाया।85 आपकी स्वर्ण जयंती पर 'मां रत्नत्रय चन्द्रिका' अभिवन्दन ग्रंथ समर्पित किया गया है।186 आपकी संघस्थ साध्वियों का परिचय तालिका में दिया गया है।
4.9.34 आर्यिका विद्यावती जी (संवत् 2025)
आप मुबारिकपुर (अलवर) के चिरंजीलाल जी पालीवाल की कन्या हैं, 10 जनवरी 1919 को आपका जन्म हुआ। विवाह के पश्चात् आप दो पुत्रों की माता बनीं। पति वियोग के बाद अध्ययन कर 20 वर्ष तक स्कूल में
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183. दि. जै. सा., पृ. 331 184. दि. जै. सा., पृ. 474 185. ब्र. श्री आभा जैन, पत्र द्वारा प्राप्त सामग्री के आधार पर 186. प्रो. टीकमचंद जैन, प्रधान संपादक, प्राप्ति स्थान-अग्रवाल जैन धर्मशाला, मालपुरा जि. टोंक (राजस्थान)
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