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दिगम्बर परम्परा की श्रमणियाँ
आप कुशाग्रबुद्धि की परम विदुषी साध्वी हैं, संघस्थ नवदीक्षित आर्यिकाओं की देखरेख, वैयावृत्य, अध्ययन-अध्यापन आदि के द्वारा ये संघ में सराहनीय कार्य कर रही हैं। विशेष रूप से आपने 'प्रमेयकमलमार्तण्ड' जैसे महान दार्शनिक ग्रंथ की हिंदी टीका कर दार्शनिक जगत को एक अपूर्व भेंट दी है। 4.9.20 आर्यिका श्री पार्श्वमतीजी
आपका जन्म अजमेर में सं. 1956 मृगशिर कृष्णा 12 को हुआ, पिता का नाम श्री सौभाग्यमल जी सोनी तथा पति का नाम जसकरण जी गंगवाल (कड़ेल निवासी) था, शादी के कुछ ही दिन के पश्चात् आपके पति स्वर्गवासी हो गये, पुण्ययोग से आचार्य चन्द्रसागर जी महाराज के सत्संग से आपमें वैराग्य भावना अंकुरित हुई, क्षुल्लिका एवं तत्पश्चात् आर्यिका दीक्षा भी उन्हीं से अंगीकार की। आपने सारे भारतवर्ष में पाद-विहार कर धर्मप्रभावना की है। आपकी दुर्बल काया में तप-त्याग अपूर्व था, आप कठोर व्रतों का पालन करने वाली साध्वी थीं।172 4.9.21 आर्यिका श्री चारित्रमतीजी (संवत् 2017)
आपका जन्म बेलगांव (दक्षिण) में सं. 1965 को श्री संगप्पा के यहाँ हुआ, आप चतुर्थ जाति की थीं, संवत् 2002 में मुनि पायसागरजी से सप्तम प्रतिमा धारण की, संवत् 2007 में गुलबर्गा में क्षुल्लिका दीक्षा तथा संवत् 2017 में आचार्य देशभूषणजी से आर्यिका दीक्षा धारण की। आप कन्नड़, मराठी, हिन्दी की उच्चकोटि की प्रवक्ता हैं तथा सरल एवं शांत जीवन है। 73
4.9.22 आर्यिका श्री आदिमतीजी (संवत् 2018)
गोपालपुरा (आगरा) के श्री जीवनलाल जी को आपके पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, विवाह के डेढ़ वर्ष पश्चात् ही पति से वियोग हो गया, तो आपने अपने जीवन क्रम को बदला और संवत् 2018 में सीकर (राजस्थान) में आचार्य शिवसागर जी के द्वारा दीक्षित हो गईं। आपकी नेमिचन्द्राचार्य कृत गोम्मटसार कर्मकाण्ड पर हिन्दी टीका प्रकाशित है। आप रस परित्यागी, आत्मसाधना में निरत विदुषी साध्वी हैं, वर्तमान में आचार्य श्री धर्मसागरजी म. के संघ में धर्म प्रभावना के कार्य कर रही हैं।174
4.9.23 आर्यिका श्री राजुलमतीजी (संवत् 2018)
वि. संवत् 1964 में कारन्जा (आकोला) के बघेलवाल गोत्रीय श्री बबनसाजी के सम्पन्न खानदान में आपने जन्म लिया। कारन्जा के देवमनसाजी को आपके पति बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, किंतु डेढ़ वर्ष में ही वे चल बसे। आपने सोलापुर के आश्रम में 16 वर्ष तक अध्ययन तत्पश्चात् अध्यापन का कार्य कुशलता पूर्वक किया। संवत् 2012
171. दि. जै. सा., पृ. 197 172. दि. जै. सा., पृ. 417 173. दि. जै. सा., पृ. 335 174. दि. जै. सा., पृ. 189
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