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4.6.17 अनन्तमति गन्ति ( 10वीं सदी )
यह नविलूर संघ की आर्यिका थी, इसने द्वादश तपों का कटवप्र पर्वत पर यथाविधि पालन किया, अंत में समाधिसहित स्वर्गवासिनी हुईं। 2
4.6.18 कण्णब्बे ( 10वीं सदी)
श्रवणबेलगोल संख्या 460 (485) के शिलालेख में इनका एक आर्यिका के रूप में नामोल्लेख है । 13
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
4.6.19 पोल्लव्वे कंतियर ( 10वीं सदी)
चंद्रगिरि पर्वत के कञ्चिनदोणे के आसपास 'पोल्लव्वे कंतियर आर्या का उल्लेख है। 44
4.6.20 कादम्बे कंती (वि. संवत् 1027 )
गंदसी ग्राम के उत्तरद्वार के पाषाण पर यह लेख है कि श्री जिनसेन भट्टारक के शिष्य गुणभद्रदेव की शिष्या कादम्बे कंती थी, उसका यह स्मारक है। यह आर्यिका सत्यवाक्य कोंगनी वर्मा महाराजाधिराज के समय विद्यमान थी । 15
4.6.21 पामब्बे (संवत् 1028 )
रानी पामब्बे गंगनरेश बुत्तुंग की बड़ी बहन और पेदियर दोरपप्य नरेश की ज्येष्ठ रानी थी। दुर्विपाकवश जब विधवा हो गई तो नाणव्वे कन्ति नाम की एक आर्यिका के पास पहुँची और केशलोच करके आर्यिका के व्रत धारण कर लिए थे। 30 वर्ष तक लगातार पांच महाव्रतों का पालन कर कठिन तपश्चर्या करते हुए आत्मशोधना पूर्वक 973 ईसवी में स्वर्गवासिनी हुईं " शिलालेख में लिखा है कि जब लोग उनको बुटुग नरेश की बहन मानकर आदर करते थे और पूछते थे कि वे कोई सेवाकार्य बतायें, तो वे कह देती थी कि मुझे जो प्राप्त था उसका ही मैंने त्याग कर दिया, अब मुझे कुछ नहीं चाहिए। 7 पामब्बे के ये शब्द श्रमण-संस्कृति को गौरवान्वित करने वाले स्वर हैं, जो उसकी आध्यात्मिक पवित्रता, वैराग्यवासित निःसंग जीवन से उद्भुत हुए हैं। अध्यात्म को मूल ध्रुव मानकर चलने वाली इन श्रमणियों ने भौतिक जीवन शैली के समक्ष जो त्याग का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया, वह आज भी शिलालेखों के माध्यम से हमें संदेश देता है।
4.6.22 पल्लविया (वि. संवत् 1031-41 )
आप गंगनरेश राचमल्ल सत्यवाक्य चतुर्थ के मंत्री चामुण्डराय की भगिनी एवं काललदेवी की सुपुत्री थीं। इन्होने 42. 'श्रीमती जी. के. जैन' श्रवणबेलगोल के शिलालेख, लेख संख्या 28 (98) दृ. जै. सि. भास्कर पृ. 71
43. वही, पृ. 73
44...... मुडिपिदरवगुड्डिसायिब्बे निसिदल पोल्लब्बे कन्तियों ......गे। अभिलेख - 240 (156) - जै. शि. सं., भाग 1 45. मद्रास व मैसूर के प्राचीन जैन स्मारक, लेख संख्या 164 पृ. 281
46. आ. आदिसागर अभिनंदन ग्रंथ, पृ. 38
47. 'डॉ. ज्योतिप्रसाद', प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरूष और महिलाएं पृ. 80
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