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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास बीकानेर के प्राचीन सचित्र विज्ञप्ति-लेख में श्रमणियाँ बीकानेर नाहटा संग्रह में एक विज्ञप्ति-पत्र सं. 1801 का है। यह पत्र खरतर गच्छ के आचार्य जिनभक्तिसूरि जी की सेवा में बीकानेर से राधनपुर भेजा गया था। 9 फीट लंबे और 9 इंच चौड़े इस पत्र में अनेक चित्र दिये हैं। पूज्य श्री की स्थूल काया के सामने 3 श्रावक, दो साध्वियाँ एवं दो श्राविकाएँ भी स्थित हैं।15 15वीं शताब्दी में कागज पर बने चित्रों में साध्वियाँ (संवत् 1486) बीकानेर के बृहत् ज्ञान भंडार में त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र के अंतिम पत्रों में आचार्य श्री जिनराज सूरि जी और उपाध्याय जयसागर जी तथा साध्वियों के समक्ष श्राविकाएँ बैठी हुई हैं, चित्र सं. 1486 के हैं, जो नाहटा जी के संग्रह में हैं। ताड़पत्र की प्रति में श्रमणियों के चित्र श्रीमान साराभाई नवाब ने प्राचीन ज्ञान-भण्डारों से जैन चित्रों का संग्रह कर 'जैन चित्र कल्पद्रुम' नामक पुस्तक प्रकाशित की है, इसमें पाटण ज्ञान भंडार की प्राचीन ताड़पत्र की प्रति के एक चित्र का उल्लेख मुनि ज्ञान सुंदर जी ने किया है जिसमें आचार्य श्री के सामने स्थापना जी और एक मुनि का चित्र है। मुनि के हाथ में ताड़पत्र का सूत्र है, वह वाचना ले रहा है। नीचे के भाग में तीन साध्वी हैं और कुछ श्रावक-श्राविकाएँ हैं। दूसरा चित्र ईडर की प्राचीन प्रति से लिया गया है, चित्र में "साधु, साध्वी अने श्रावक-श्राविकाओं" लिखा हुआ है।17 कलकत्ता जैन मंदिर में श्रमणियों के चित्र श्री भंवरलाल जी नाहटा ने तीर्थकर मासिक में कलकत्ता के जैन मंदिर में कुछ श्रमणियों के चित्रांकन का उल्लेख किया गया है। इनमें प्रमुख रूप से ब्राह्मी-सुंदरी, सीता राजीमती, मृगावती, चंदनबाला, प्रभावती आदि के विविध दृश्य अंकित किये गये हैं। चित्र लगभग 100 वर्ष प्राचीन हैं।318 हमें ये चित्र उपलब्ध नहीं हुए। सारांश इस प्रकार आगमों, आगमिक व्याख्याओं, पुराणों, चरितकाव्यों, इतिहास ग्रंथों, पट्टावलियों, प्रशस्ति-ग्रंथों, पांडुलिपियों, विज्ञप्ति-पत्रों, अभिलेखों एवं पुरातात्त्विक सामग्रियों में जैनधर्म की श्रमणियों से संदर्भित विशद सामग्री उपलब्ध होती है, उन्हीं का आधार लेकर अग्रिम अध्यायों में श्रमणियों का क्रमबद्ध इतिहास प्रस्तुत किया जा रहा है। 315. भंवरलाल नाहटा अभिनंदन ग्रंथ, पृ. 224. 316. वही, पृ. 142. 317. मूर्तिपूजा का प्राचीन इतिहास, पृ. 388. 318. तीर्थंकर मासिक, अक्तूबर 1980, पृ. 168.69. 96 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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