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क्रम सं दीक्षा क्रम साध्वी- नाम
453. 548
454.
549
455.
551
456.
457.
458.
459.
460.
461.
462.
463.
464.
465.
466.
553
554
555
556
557
558
559
560
562
564
566
जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र 2021 गंगाशहर
केशरीचंदजी बोथरा
श्री मधुरयशाजी श्री सौम्ययशाजी 2022 धूलिया 4 श्री चिन्मयप्रभाजी 2021 नाथद्वारा
दयाचंद मंधाण (सिंधी)
गोकुलचंदजी बाफणा
श्री ललितरेखा 2022 छोटी खाटू गणपतमल डूंगरवाल 2043 ज्ये, शु. 4
श्री अमृतयशाजी 2024 लाडनूं
सम्पतमलजी गोलछा 2043 भा. शु. 15
श्री प्रबलयशाजी 2018 छापर
श्री कुमुदयशाजी
2018 लाडनूं 2019 गंगाशहर
श्री कीर्तियशाजी
श्री हेमयशाजी
4 श्री ऋजुवशाजी 2020 पड़िहारा
श्री नम्रयशाजी
श्री निर्मलयशाजी
2019 अहमदाबाद हरिभाई मोदी
श्री मंजुयशाजी
2019 सिसाय
2019 सरदारशहर
श्री नूतनयशाजी 2022 पड़िहारा
जुगराजजी भंसाली उदयचंदजी सिंधी
डागा
2022 बीदासर
धनराजजी सुराणा
जयवीरसिंह सिंगल नगराजजी सामसुखा
धनराजजी सुराणा
दीक्षा संवत् तिथि
2042 का. शु. 10
2042 का. शु. 10
2042 फा. शु. 2
बच्छराजजी लिंगा
2043 का. शु. 9
2043 का. शु. 9
2043 का. शु. 9
2043का. शु. 9
2043 का. शु. 9
2043 का. शु. 9 2043 का. शु. 9
2043का. शु. 9
2043 मृ.शु. 12
दीक्षा स्थान
आमेट
आमेट
गोगुंदा
लाडनूं
लाडनूं
लाडनूं
लाडनू
लाडनू
लाडनूं
लाडनूं
लाडनूं
लाडनू
लाडनू
बीदासर
विशेष विवरण
यथोचित ज्ञान आराधना
बी. ए. प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण
यथोचित ज्ञानार्जन, तप सैकड़ों उपवास ऊपर पंचोले तक
संस्थान से एम. ए. प्रथम श्रेणी में शीत परीषहजयी, कार्यकुशल
दस आगम वाचन, सैकड़ों उपवास एक अठाई
यथाशक्य स्वाध्याय, जप, ध्यान आदि यथाशक्य ज्ञान तप आराधना में संलग्न आगम, स्तोक, स्तोत्र, श्लोकादि कंठस्थ, तप 307 उपवास, दस प्रत्याख्यान 4 बार आगम बत्तीसी का वाचन, तप संख्या 807, दो मास एकांतर प्रतिवर्ष
जैन दर्शन में एम. ए. तप- सैकड़ों उपवास, बड़ा तप 8, 9, 11
गण से पृथक् संवत् 2051 में
जैनदर्शन में एम. ए. प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण, कलाकुशल, सृजन-लेख, गीत, कविता, मुक्तक आदि
ज्ञान-साधना में प्रगति, तप-सात वर्षों से सावण-भादवा में एकांतर तप, 3, 5, 7
उपवास
यथोचित ज्ञानार्जन, कार्यदक्ष, तप से 9 तक लड़ीबद्ध उपवास, ध्यान व जप पर निष्ठा
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास