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क्रम से दीक्षा क्रम साध्वी नाम
532
439.
440.
441.
442.
446.
447.
443. 537
444.
538
445.
539
448.
449.
533
450.
451.
452.
535
536.
540
541
543
544
545
546
547
4 श्री संयमलताजी
4 श्री रतिप्रभाजी
श्री धर्मयशाजी
जन्मसंवत् स्थान 2018 बाड़मेर
2018 बालोतरा
2018 बीदासर
4 श्री पुण्यशाजी
श्री सोमयशाजी
2016 गंगाशहर 2019 डूंगरगढ़
4 श्री सूर्ययशाजी
4 श्री विशुद्धप्रभाजी 2018 लाडनूं
श्री दीपयशाजी
श्री लोकयशाजी
श्री मंगलयशाजी
2020 बीदासर
पिता-नाम गोत्र दीक्षा संवत् तिथि
धनराजजी सालेचा 2040 आसो. शु. 2
भगवानचंदजी बाफणा 2040 आसो. शु. 2
हनुमानमलजी गोलछा 2040 मा.शु. 13
जीवनमलजी डागा
हनुमानमलजी चोपड़ा
सोहनलालजी दूगड़
हंसराजजी दूगड़
4 श्री प्रेमप्रभाजी
2019 लाडनूं
4 श्री लब्धिप्रभाजी 2017 टिटलागढ़ कपूरचंदजी गर्ग
4 श्री पीयूषप्रभाजी 2012 सरदारशहर पूनमचंदजी सेठिया
हंसराजजी सिंधी
4 श्री अमृतप्रभाजी 2016 सरदारशहर -
नौलखा
2040मा. 13
2041 वै. शु. 3
2041 वै. शु. 3
2041 ज्ये. शु. 4
2041 ज्ये. शु. 4
2041 मा. शु. 6
2042 ज्ये, शु. 13
2042 ज्ये. शु. 13
अमृतलाल चोवटिया 2042 का. शु. 10
नाहटा
2005 धूलिया 2008 रतननगर 2042 का. शु. 10 2020 फतेहगढ़ कानजीभाई सिंघवी 2042 का. शु. 10
दीक्षा स्थान
बालोतरा
बालोतरा
बीदासर
बीदासर
श्रीडूंगरगढ़
श्रीडूंगरगढ़
लाडनूं
लाडनूं
जसोल
भीलवाड़ा
भीलवाड़ा
आमेट
आमेट
आमेट
विशेष- विवरण
यथोचित ज्ञानार्जन, तप उपवास, बेले, तेले और 9 दिन का तप
यथाशक्य ज्ञानार्जन, सृजन-13 व्याख्यान कई गोत, कलादक्ष, प्रतिवर्ष 35 उपवास, वर्षीतप
जैनदर्शन में एम. ए. प्रथम श्रेणी में तप संख्या 250
आगम, नियुक्ति भाष्य आदि अनेक ग्रंथों का अध्ययन, कलादक्ष, तप दिन 294 यथोचित ज्ञानार्जन, तप 1 से 8 दिन लड़ीबद्ध यथोचित ज्ञानाभ्यास, कार्यकुशल
संवत् 2037 में समणी दीक्षा ली थी, वथोचित ज्ञान, कलार्जन, तप सैकडों उपवास, दो मास एकांतर
तपस्विनी 1 से 8 उपवास के कुल दिन 1112, अढ़ाई सौ प्रत्याख्यान, कार्यकुशल संस्थान से बी. ए. उत्तीर्ण, तप 260 दिन, आयंबिल के कई तेले
जैन दर्शन में एम. ए. में प्रथम स्थान, 'आचारचूला व निशीथचूर्णि पर पी. एच. डी. आगम शोधकार्य में संलग्न, कार्यकला कुशल, तप- प्रतिवर्ष 30-40 उपवास, सावन में एकांतर
ज्ञान-तप आराधना में संलग्न
यथाशक्य ज्ञानाराधना, प्रतिमास दो उपवास यथाशक्य संयम, ज्ञान कला में विकास
तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ