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________________ क्रम संदीक्षा क्रम साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र दीक्षा संवत् तिथि दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण Jain Education International 373. 1456 श्री ध्रुवरेखाजी 2011 सरदारशहर | कन्हैयालालजी गांधी | 2033 का. कृ.१ | सरदारशहर | यथोचित ज्ञानाभ्यास,सूक्ष्म लिपिकला दक्ष, तप संख्या 1052 । सरदारशहर लगभग4हजारगाथाप्रमाणकंठस्थ,सूक्ष्मलिपि दक्ष,तपसंख्याउपवासदिन472,आबिलदिन 374. 1457 श्री लब्धिश्रीजी |2011 अहमदाबाद हरिभाई मोदी 2033 का. कृ.9 375. छापर श्री कीर्तिसुधाजी |2014 गंगाशहर श्री जगवत्सलाजी | 2015 बीदासर मांगीलालजी बैद | 2033 फा. शु. 3 | पन्नालालजी बैंगानी | 2033 फा. शु. 3 376. | छापर 377. 1460 श्री पुण्यप्रभाजी |2012 बाडमेर भंवरलालजीसालेचा 2034 का. कृ.7 लाडनूं 378. 1461 श्री मंगलप्रभाजी | 2012 लाडनूं अमरचंदजी कुचेरिया 2034 का. कृ.7 | लाडनूं For Private & Personal Use Only 974 379. 1462 श्री सोमप्रभाजी |2013 लाडनूं | सोहनलालजी कठोतिया |2034 का. कृ.7 | लाडनूं यथोचित विद्याभ्यास तप संख्या 510 यथोचित ज्ञानाभ्यास, 15 वर्ष शीत परिषह सहन यथाशक्य ज्ञानार्जन, तप1 से 15 उपवास की संख्या 1100, अढ़ाई सौ प्रत्याख्यान यथाशक्य ज्ञानार्जन, मुक्तक, परिसंवाद, शब्दचित्र आदि का सृजन , कलादक्ष, तप संख्या718 | यथोचित ज्ञान, सृजन-निबंध, लेख, परिसंवाद,गीतिका, तप संख्या उपवास की 640, आबिल की 120 यथाशक्य ज्ञानाभ्यास, तप संख्या 304 | ज्ञान यथोचित, कलादक्ष,तप संख्या 774 ज्ञान यथोचित,कला पुरस्कृत, तप प्रतिवर्ष | 21 उपवास ज्ञान यथोचित, तप-प्रतिवर्ष 30 उपवास शिक्षा, तप, साधना यथाशक्य शिक्षा, साधना यथाशक्य, उपवास सैकड़ों शिक्षा, साधना यथोचित, उपवास सैकड़ों आबिल कई,अढाईसौप्रत्याख्यान एक बार 380. 464 | श्री कुंदनप्रभाजी | 2012 उदासर केशरीचंदजी मुनोत | 2034 मा. शु.5 श्री कुशलप्रज्ञाजी | 2012 सुजानगढ़ फूसराजजी बैद | 2034 मा. शु. 5 श्री कल्याणमित्रा | 2015 गंगाशहर नेमीचंदजी सुराणा | 2034 मा. शु. 5 | सुजानगढ़ | सुजानगढ़ | सुजानगढ़ 382. 383. 384. श्री प्रतिभाश्रीजी | 2011 गंगाशहर मंगलचंदजी लूनावत 2035 आसोशु 15 श्री ऋजुप्रभाजी |2012 बाव नरपतभाई मेहता | 2035 आसोशु 15 श्री भावनाश्रीजी | 2013 उदरामसर दौलतरामजी सिपानी | 2035 आसोशु 15 श्री मंगलमालाजी | 2013 सरदारशहर | धर्मचंदजी नौलखां | 2035 आसोशु. 15 | गंगाशहर गंगाशहर गंगाशहर जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 385. 386. गंगाशहर www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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