________________
Jain Education International
तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ
For Private & Personal Use Only
953
क्रम सं दीक्षा क्रम साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र दीक्षा संवत् तिथि | दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण 101. 116 श्री राजांजी 1971 गंगाशहर | तनसुखदासजी सुराणा | 1998 का. कृ.9 | राजलदेसर | सेवाभाविनी, कार्यदक्ष, निर्भय, संवत् 2038
को उदासर में 11 दिन के अनशनसह दिवंगत 102.
श्री रंभाजी 1972 भीनासर | मोतीचंदजी कोचर | 1998 का. कृ.9 | राजलदेसर संवत् 2002 में गण से पृथक् 103. श्री नोजांजी | 1974 राजलदेसर | जैसराजजी बैद 1998 का. कृ.9 राजलदेसर यथासाध्य तप जप स्वाध्याय, संवत् 2036]
लाडनूं में स्वर्गस्थ 104. श्री इन्द्रूजी 1976 रतनगढ़ | डूंगरमलजी तातेड़ | 1998 का. कृ.9 राजलदेसर यथासाध्य ज्ञानार्जन, उपकरण निर्माण में
कुशल, तप संख्या 3263, साहसी "श्री विदामांजी | 1975 सिरेवड़ी
|1998 का. कृ.9 | राजलदेसर यथामति ज्ञानार्जन,तपसंख्या 2859,अढ़ाई
सौ प्रत्याख्यान, प्रतिदिन दो प्रहर तप श्री सुगनांजी 1977 गंगाशहर | जुहारमल सिरोहिया | 1998 का. कृ.9 राजलदेसर संवत् 2046 बीदासर में स्वर्गस्थ 107. श्री मोहनांजी | 1978 लाडनूं | नेमीचंदजी कोठारी | 1998 का. कृ.9 राजलदेसर | समतावान, यथाशक्य ज्ञान, ध्यान,
स्वाध्याय, तप संख्या 1736, अढ़ाई सौ
प्रत्याख्यान 108. | 123 श्री भत्तूजी 1982 केलवा नंदलालजी चोरड़िया | 1998 का. कृ.9 | राजलदेसर | प्रतिवर्ष40-50 उपवास,दोवर्षीतप, अठाई 10श्री लिछमांजी | 1982 तालछापर | महालचंदजी कोठारी| 1998 का. कृ.9 | राजलदेसर कईस्तोक,व्याख्यान कंठस्थ,तप-संख्या
1994, अढ़ाई सौ प्रत्याख्यान,
संवत् 2049 बीदासर में स्वर्गस्थ 126 श्री भीखांजी | 1982 राजलदेसर | रूपचंदजी बैद 1998 का. कृ.9 | राजलदेसर | यथोचित ज्ञानार्जन, तप-संख्या 2025 श्री मोहनांजी 1983 छापर झूमरमलजी नाहटा | 1998 का. कृ.9 राजलदेसर | यथाशक्य ज्ञानार्जन,तप संख्या 809,संवत्
2045 सरदार शहर में दिवंगत | श्री गणेशांजी | 1983 छापर झूमरमलजी बैद 1998 का. कृ.9 | राजलदेसर यथाशक्य अध्ययन, 17 वर्षों से एकांतर,
शेष तप-संख्या 1811 श्री लिछमांजी | 1983 राजलदेसर | सूरजमलजी बैद | 1998 का. कृ.9 | राजलदेसर यथाशक्य शास्त्रज्ञान 114. | श्री रायकंवरजी | 1983 राजलदेसर | तोलारामजी कुंडलिया | 1998 का. कृ. 9 राजलदेसर यथाशक्य अध्ययन,वाचन,स्वाध्याय,मौन,
तप-संख्या 1133,डूंगरगढ़ में स्थिरवास
109.
10
12
113.
www.jainelibrary.org