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षोडश संस्कार
आचार दिनकर - 27 वस्त्र, आभूषण आदि पहनाए। सूतक के दिन पूर्ण हो जाने पर भी यदि आर्द्र नक्षत्र, सिंहयोनि नक्षत्र एवं गजयोनि नक्षत्र हो, तब स्त्री को सूतक स्नान नहीं करना चाहिए। आर्द्रनक्षत्र दस होते हैं - कृतिका, भरणी, मूल, आर्द्रा, पुष्य, पुनर्वसु, मघा, चित्रा, विशाखा एवं श्रवण। आर्द्र नक्षत्रों में स्त्री स्नान न करे। यदि स्नान कर लिया, तो फिर प्रसव नहीं होगा, ऐसी मान्यता है। सिंहयोनि नक्षत्र दो हैं – धनिष्ठा एंव पूर्वभाद्रपद । भरणी और रेवती गजयोनि नक्षत्र कहे गए हैं। सूतक दिवस पूर्ण होने पर भी यदि ये नक्षत्र आए, तो एक दिन के अन्तराल से शुचिकर्म करें।
शुचिकर्म-संस्कार के लिए सामग्री में पंचगव्य, तीर्थ-जल आदि वस्तुओं का एवं सगोत्रीयजनों की उपस्थिति का निर्देश किया गया है।
इस प्रकार वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में गृहिधर्म का शुचिकर्म-संस्कार नामक सातवाँ उदय समाप्त होता है।
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